नई दिल्ली : आपने कई बार पढ़ा होगा कि धरती पर पहाड़ कैसे बने। क्या आप जानते हैं कि धरती की सतह पर मौजूद विशाल समुद्र और महासागर कैसे बने हैं। इस पर विशेषज्ञों के कई तर्क हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसा लाखों सालों के भूगर्भीय बदलावों, जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक घटनाओं की वजह से हुआ है। आइए आज हम आपको इसके बारे में विस्तृत जानकारी देंगे।
धरती पर बहुत बड़े-बड़े गड्ढे, जिन्हें हम क्रेटर या सिंकहोल के नाम से भी जानते हैं, कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं की वजह से बनते हैं। इसकी एक बड़ी वजह उल्कापिंडों का टकराना है। दरअसल, जब बड़े-बड़े उल्कापिंड धरती की सतह से टकराते हैं, तो वे गहरे गड्ढे बनाते हैं। इस टक्कर से बहुत अधिक ऊर्जा पैदा होती है, जिससे धरती की सतह पर बड़े-बड़े गड्ढे बनते हैं।
उदाहरण के लिए, आप मेक्सिको के युकाटन प्रायद्वीप पर स्थित चिक्सुलब क्रेटर को देख सकते हैं। इसका निर्माण करीब 66 मिलियन साल पहले हुआ था और इसे डायनासोर के विलुप्त होने की एक बड़ी वजह भी माना जाता है।
जब कोई बहुत बड़ा उल्कापिंड धरती के किसी हिस्से से टकराता है, तो भारी मात्रा में ऊर्जा और गर्मी पैदा होती है. इससे वहां बादल बनने लगते हैं और फिर भारी बारिश होती है. इसके अलावा जब बड़े गड्ढे बनते हैं, तो उनमें धीरे-धीरे पानी जमा होने लगता है. इसके बाद धीरे-धीरे कई प्रक्रियाओं से गुजरते हुए ये गड्ढे समुद्र में बदल जाते हैं. वहीं, जलवायु परिवर्तन, बर्फ के पिघलने और बारिश के दौरान अधिक पानी जमा होने की वजह से भी गड्ढे पानी से भरते रहते हैं।
समुद्र के पानी के खारे होने के पीछे कई कारण हैं. पहला कारण यह है कि जब बारिश के दौरान पानी धरती की सतह पर बहता है, तो उसमें मिट्टी और चट्टानों से अलग-अलग खनिज, जैसे सोडियम और क्लोराइड घुल जाते हैं, बाद में ये खनिज नदियों के ज़रिए समुद्र में पहुंचते हैं. इसके अलावा समुद्र का पानी गर्म होने पर वाष्पित हो जाता है, लेकिन पानी में नमक और खनिज रह जाते हैं, जिसकी वजह से पानी का खारापन बढ़ने लगता है.
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