नोबेल पुरस्कार से सम्मानित वो खोज जिसने ली कई अमेरिकन लड़कियों की जान

नई दिल्ली : ये पूरी घटना प्रथम विश्व युद्ध के दौरान की है जब रेडियम को 19 साल पहले ही खोजा जा चुका था. इसके बाद हाथ घड़ियों को रेडियम से पेंट किए जाने का प्रचलन अमेरिका में काफी बढ़ गया. रेडियम चमकता था इसलिए इसे रात में आसानी से देखा जा सकता था. ऐसे […]

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नोबेल पुरस्कार से सम्मानित वो खोज जिसने ली कई अमेरिकन लड़कियों की जान

Riya Kumari

  • November 7, 2022 6:40 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली : ये पूरी घटना प्रथम विश्व युद्ध के दौरान की है जब रेडियम को 19 साल पहले ही खोजा जा चुका था. इसके बाद हाथ घड़ियों को रेडियम से पेंट किए जाने का प्रचलन अमेरिका में काफी बढ़ गया. रेडियम चमकता था इसलिए इसे रात में आसानी से देखा जा सकता था.

ऐसे हुई शुरुआत

4 अप्रैल 1917 को अमेरिका की सीनेट ने जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा का समर्थन किया. दो दिन बाद ही अमेरिका ने प्रथम विश्व युद्ध में औपचारिक रूप से एंट्री की. उस समय करीब 4000 लड़कियां अमेरिका की फैक्ट्रियों में घड़ी के डायल को पेंट करने का काम किया करती थीं. सेना की घड़ियों पर भी रेडियम वाल चमक्दार पेंट लगाया जाता था. प्रथम विश्व युद्ध के बाद इस काम को देश भक्ति के साथ किया जाने लगा. दरअसल घड़ियों के डायल को पेंट करने के लिए ऊंट के बालों से बने ब्रश का इस्तेमाल किया जाता था. यह कुछ ही समय में खराब हो जाता था जिस कारण लड़कियां इसे बार-बार होठों से ठीक करती थीं. इस तकनीक को ‘लिप पॉइंटिंग’ कहा जाता था.

‘घोस्ट गर्ल्स’ का चलन

इतना ही नहीं ये रेडियम उनके कपड़े, बालों और त्वचा पर भी लग जाता. इससे वह रात में चमकती थी. ऐसे में कई लड़कियां तो अपने सबसे अच्छे कपड़े पहनकर आने लगीं ताकि रेडियम के कण उनपर गिरें और उनके कपड़े चमकें. ये चलन इतना बढ़ गया कि उस समय इन लड़कियों को ‘घोस्ट गर्ल्स’ (Ghost Girls) कहा जाता था.

मामले ने डराया

इसी चमक की लालच इतनी बढ़ गई कि लड़कियां इस पेंट को अपने नाखूनों और दांत में भी लगाने लगी. लेकिन रेडियम के घातक परिणाम जल्द ही सामने आए जिसका पहला असर अमेलिया मैगिया पर हुआ. अमेलिया न्यू जर्सी में रेडियम ल्यूमिनस मैटेरियल्स कॉर्पोरेशन में काम करती थी. उसके दांतों में दर्द हुआ और फिर एक दिन सभी दांत निकल गए. मवाद और अल्सर से उसका मुंह भर गया. जिस कारण उसका निचला जबड़ा काटना पड़ा. ये रोग धीरे-धीरे पूरे देश में फ़ैल गया. 12 सितम्बर 1922 तक उसकी मौत हो गई लेकिन डॉक्टर्स अभी भी वजह का पता नहीं लगा पाए थे. इसके बाद कई लड़कियां गंभीर रूप से अमेलिया जैसे ही लक्षणों और गंभीर बीमारियों का शिकार होने लगीं.

1600 महिलाएं प्रभावित

जब जांच के लिए कमीशन बैठाया गया तो जांच में रेडियम सामने आ गया. हालांकि कंपनी ने नहीं माना और एक और कमीशन बनाकर दोष लड़कियों के सिर पर डाल दिया. रिपोर्ट्स बताती हैं कि पेंट करने वाली लड़कियों में रेडियम ने ज़हर भर दिया था. रेडियम इंडस्ट्री इतनी बड़ी थी कि उसने इन आरोपों से इनकार कर दिया और पैथोलोजिस्ट को बदनाम करने की कोशिश की थी. आंकड़ों की मानें तो 1600 महिलाओं का नाम रिकॉर्ड में दर्ज़ है जिनमे से 86 को रेडियम की वजह से कैंसर हुआ था. 1929 तक 23 महिलाओं ने भी अपनी जान गवा दी थी.

जिसने खोजा ली उसी की जान

लेकिन क्या आप ये बात जानते हैं कि रेडियम की खोज साल 1898 में मैरी क्यूरी ने अपने पति पियरे क्यूरी के साथ की थी. साल 1911 में मैरी क्यूरी को इस खोज के लिए नोबेल प्राइज से भी सम्मानित किया गया. हालांकि बाद में मैरी क्यूरी के मौत की वजह भी रेडियम बनकर ही सामने आया.

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