नई दिल्ली। धरती सौर मंडल का केंद्र बिंदु नहीं है। भले ही आज इसे साबित करने के कई तर्क सामने हैं। लेकिन आज से 400 साल पहले ऐसी बातें करने वाले को सनकी कहा जाता था। बता दें कि इटली के महान वैज्ञानिक गैलीलियो(Galileo Galilei) ने विज्ञान की हमेशा तरफदारी की, हालांकि इसके चलते उन्होंने ताकतवर कैथोलिक चर्च का गुस्सा मोल ले लिया।
दरअसल, महान वैज्ञानिक गैलीलियो गैलीली एक इतालवी भौतिक विज्ञानी और खगोलशास्त्री थे। गैलीलियो का जन्म 15 फरवरी 1564 को पीसा में हुआ था। गैलीलियो के पिता चाहते थे कि वो डॉक्टर बनें। लेकिन उनकी रुचि गणित विषय में थी। बाद में वो गणित के प्रोफेसर बनें और अपने जीवन में उन्होंने ब्रह्मांड के कई रहस्य दुनिया के सामने रखे। उनकी बहुत इज्जत हुआ करती थी। लेकिन उनके मरने के बाद उनकी उंगलियां निकाल ली गई। आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों किया गया?
बता दें कि गैलीलियो(Galileo Galilei) को खुद के बनाए टेलीस्कोप से अंतरिक्ष को समझने में काफी सहायता मिली। वो टेलीस्कोप की सहायता से ऐसे पहले इंसान बने जिसने पहली खगोल विज्ञान खोज की। उन्होंंने देखा कि चंद्रमा चिकना नहीं, बल्कि पहाड़ी और गड्ढेदार है । उन्होंने पृथ्वी की तरह बाद में बृहस्पति की परिक्रमा करने वाले चार चांदों की खोज करने, शनि का अध्ययन करने, शुक्र के फेज़ का निरीक्षण करने और सूर्य पर सौर धब्बों का अध्ययन करने के लिए अपने नए टेलीस्कोप का इस्तेमाल किया। गैलीलियो की खोज ने कॉपरनिकस के सिद्धांत को और बल दिया जो कहता है कि पृथ्वी और बाकी सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं। गैलीलियो के दौर में ज्यादातर लोगों का ये मानना था कि पृथ्वी ब्रह्मांड का केंद्र है और सूर्य और ग्रह इसके चारों ओर चक्कर लगाते हैं।
गौरतलब है कि उस समय चर्च और धर्मग्रंथों के हिसाब से ये अवधारणा प्रचलित थी कि सूर्य पृथ्वी की परिक्रमा करता है। लेकिन गैलीलियो के विचार चर्च की बातों से अलग थे। इस वजह से इनक्विजिशन (कैथोलिक चर्च की कानूनी संस्था) ने गैलीलियो के खिलाफ आरोपों का जवाब देने के लिए उन्हें रोम बुलाया। बता दें कि उस समय कैथोलिक चर्च बहुत शक्तिशाली और प्रभावशाली था।
1616 के आरंभ में, गैलीलियो पर एक विधर्मी होने का आरोप लगा। विधर्म एक ऐसा अपराध था जिसके लिए लोगों को कभी-कभी मौत की सजा भी दे दी जाती थी। हालांकि, गैलीलियो को विधर्म के आरोपों से छूट दे दी गई, मगर उनसे ये कहा गया कि वो सार्वजनिक रूप से ऐसा न कहें कि पृथ्वी ब्रह्मांड का केंद्र नहीं है।
आरोपों से बचने के बाद भी गैलीलियो(Galileo Galilei) ने खगोल विज्ञान का अपना अध्ययन जारी रखा, जिससे वो और ज्यादा आश्वस्त हो गए कि सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं। उन्होंने 1632 में एक किताब छापी। जिसमें उन्होंने बताया कि कॉपरनिकस का सिद्धांत सही है, जो कहता है धरती की जगह सूरज केंद्र में है। गैलीलियो को एक बार फिर इनक्विजिशन के सामने प्रस्तुत किया गया और इस बार उन्हें विधर्म का दोषी पाया गया। यही नहीं उनकी किताब को भी बैन कर दिया गया था। जिसके बाद, 1633 में गैलीलियो को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। उनकी उम्र और खराब स्वास्थ्य के कारण, घर में नजरबंदी के तहत कारावास काटने की अनुमति दी गई। जहां 8 जनवरी, 1642 को कैद के दौरान गैलीलियो की मौत हो गई।
गैलीलियो को एक विधर्मी समझा जाता था, यही कारण था कि बिना किसी आधिकारिक समारोह के फ्लोरेंस के सांता क्रोस चर्च के एक छिपे हुए चैपल में उन्हें दफनाया गया। उनकी मौत के 100 सालों बाद साल 1737 में सांता क्रोस की उसी चर्च में गैलीलियो की एक समाधि बनाई गई और उनके अवशेष वहां रखे गए। जानकारी के अनुसार, स्थानांतरण के बीच कुछ लोगों ने उनकी तीन उंगलियां और उनके दांत निकाल लिए।
जानकार बताते हैं कि कैथोलिक संतों के शव से अंगों को निकालना आम प्रथा थी। ऐसा माना जाता था कि इन अंगों में पवित्र शक्तियां होती हैं। जिन्होंने गेलीलियो(Galileo Galilei) की उंगलियां निकाली वो उन्हें संत मानते थे। यही नहीं, गैलीलियो की उन्हीं उंगलियों को निकाला गया, जिसमें वो पेन पकड़ते थे। आज उनकी ये तीन उंगलियां, इटली के फ़्लोरेंस शहर के एक म्यूजियम में सुरक्षित हैं। म्यूज़ियम के अनुसार, यह उंगली विज्ञान के नायक और शहीद के रूप में गैलीलियो के उत्सव की मिसाल मानी जाती हैं।
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