Earth Days Length Increasing: धरती पर लंबे हो रहे हैं दिन, वैज्ञानिक भी नहीं जानते वजह

नई दिल्ली : धरती पर दिन रहस्यमयी तरीके से लंबा हो रहा है. इसके पीछे क्या वजह है अब तक वैज्ञानिक भी इस बात का पता नहीं लगा पाए हैं. यदि ऐसा होता रहा तो इससे भयावह स्थितियां पैदा होंगी. दुनिया भर के एटॉमिक क्लॉक्स ने जो गणना की है उसके अनुसार पृथ्वी पर दिन […]

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Earth Days Length Increasing: धरती पर लंबे हो रहे हैं दिन, वैज्ञानिक भी नहीं जानते वजह

Riya Kumari

  • August 8, 2022 9:46 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली : धरती पर दिन रहस्यमयी तरीके से लंबा हो रहा है. इसके पीछे क्या वजह है अब तक वैज्ञानिक भी इस बात का पता नहीं लगा पाए हैं. यदि ऐसा होता रहा तो इससे भयावह स्थितियां पैदा होंगी. दुनिया भर के एटॉमिक क्लॉक्स ने जो गणना की है उसके अनुसार पृथ्वी पर दिन रहस्यमयी तरीके से लंबे और बड़े हो रहे हैं. इससे समय का कैलकुलेशन प्रभावित हो रहा है. इसके साथ-साथ जीपीएस, नेविगेशन और संचार संबंधी कई अन्य तकनीकों पर भी इसका नकारात्मक असर देखने को मिल रहा है.

बढ़ रहा है दिन का समय

धरती के दिन की गणना उसकी धुरी पर लगने वाले चक्कर से की जाती है लेकिन धरती के अपनी धुरी पर घूमने की गति बढ़ती दिखाई दे रही है. पिछले कुछ दशकों में इसका उलट देखने को मिल रहा था जहां दिन की लंबाई छोटी हो रही थी. जून 2022 में सबसे छोटे दिन का रिकॉर्ड भी देखा गया था जो बीती आधी सदी में सबसे छोटा दिन था.

इस रिकॉर्ड के बाद भी साल 2020 के बाद से धरती ने गति धीमी हो रही है. दिन लगातार लंबे हो रहे हैं. जिसके पीछे का कारण वैज्ञानिकों को भी नहीं पता है. पृथ्वी 24 घंटों में लगाने वाले चक्कर के लिए अब थोड़ा ज़्यादा समय ले रही है. आमतौर पर इस तरह के बदलाव करोड़ों सालों में आते हैं लेकिन समय के हिसाब से ये काफी जल्दी हो रहा है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके पीछे धरती पर आने वाले भूकंप और तूफ़ान जिम्मेदार हैं.

 

उलट दिशा में शुरू हुई प्रक्रिया

पिछले कई करोड़ वर्षों से धरती के घूमने की गति लगातार धीमी हो रही है. चंद्रमा से निकलने वाले टाइड्स का घर्षण इसकी वजह है. हर सदी में कुछ 2.3 मिलिसेकेंड का समय धरती के दिन के साथ समय में जुड़ रहा है. कुछ करोड़ साल पहले धरती का दिन सिर्फ 19 घंटे का हुआ करता था लेकिन पिछले 20 हजार सालों की बात करें तो दूसरी प्रक्रिया शुरू हो गई है वो भी उलट दिशा में.

 

हिमयुग में हुआ था ऐसा

आखिरी हिमयुग में भी धरती की गति बढ़ने लगी थी जब ध्रुवीय की बर्फ पिघलने से सरफेस प्रेशर कम हो रहा था. उस समय धरती का मैंटल धीरे-धीरे ध्रुवों की तरफ खिसक रहा था. ये बिलकुल वैसा ही है जब कोई बैले डांसर घूमने की गति बढ़ाने के लिए अपने हाथों को शरीर के पास रख कर पैरों पर तेजी से घूमती है. जब धरती का मैंटल उसकी धुरी के नजदीक पहुंचता है तब हमारी धरती की घूमने की गति बढ़ जाती है. जिस वजह से धरती का हर दिन 0.6 मिलिसेकेंड्स कम हो जाता है. बता दें, धरती के एक दिन में 86,400 सेकेंड्स होते हैं.

 

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