देश की एक गौशाला में गायों को करीब 3 घंटे रोजाना संगीत सुनाया जा रहा है. दरअसल यहां के प्रबंधकों का मानना है कि रोजाना गाने सुनने से गौशाला की गायें पहले से 20 प्रतिशत अधिक दूध देने लगी हैं. संगीत सुनकर गौशाला की कई दुर्बल गायें भी तदुंरूस्त हो गई हैं.
नई दिल्ली: अक्सर आपने संगीत से प्यार करने वाले कई तरह के लोग देखे होगें. कई लोग संगीत को जीवन बताते हैं तो कई कुछ कर दिखाने की प्रेरणा. लेकिन क्या आप जानते हैं संगीत लोगों के साथ पशुओं को पसंद आने लगा है. दरअसल राजस्थान के नीमकाथाना की एक गौशाला में गायों को करीब 3 घंटे रोजाना संगीत सुनाया जा रहा है क्योंकि वहां के प्रबन्धकों का दावा है संगीत सुनने की वजह से उनके यहां करीब 20 प्रतिशत दूध उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है.
गौशाला अध्यक्ष दौलतराम ने मीडिया से बताया कि गौशाला में रहने वाली 500 से गायों को साल 2016 से सुबह सुबह 5.30 बजे से 8.30 बजे तक और शाम को 4.30 बजे से 8.00 बजे तक एम्पलीफायर के जरिए भजन सुनाए जाते हैं. दौलतराम ने बताया कि किसी गौभक्त ने उन्हें ऐसा करने की सलाह दी थी. दौलतराम ने बात मानकर साल 2016 से गायों को संगीत सुनान शुरू कर दिया जिसके बाद जल्द ही इसके अच्छे नतीजे सामने आने लगे.
दौलतराम ने इस बारे में बताया कि गायों को भजनों के अलावा शास्त्रीय संगीत भी सुनाया जाता है. दौलतराम का मानना है कि संगीत से पहले गायों के चेहरे सुस्त रहते हैं लेकिन गाना सुनते ही उनके चेहरे पर खिलावट दिखाई देने लगती है. संगीत सुनकर गौशाला की कई दुर्बल गायें भी तदुंरूस्त हो गई हैं. बता दें कि राज्य सरकार दौलतराम को इस गौशाला के संचालन के लिए सम्मानित भी कर चुकी है. गौशाला में गायों की 24 घंटें देखभाल करने के लिये 22 कर्मचारी है .
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