नई दिल्ली : इस समय उत्तर भारत के कई इलाके कड़ाके की ठंड झेल रहे हैं. जहां शीतलहर ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है. पारा गिरकर 2 से 3 डिग्री पहुँच गया है. लेकिन क्या हो अगर हम आपको बताएं कि दुनिया में एक ऐसी भी जगह है जहां पारा माइनस 50 डिग्री […]
नई दिल्ली : इस समय उत्तर भारत के कई इलाके कड़ाके की ठंड झेल रहे हैं. जहां शीतलहर ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है. पारा गिरकर 2 से 3 डिग्री पहुँच गया है. लेकिन क्या हो अगर हम आपको बताएं कि दुनिया में एक ऐसी भी जगह है जहां पारा माइनस 50 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है और फिर भी यहां इंसान रहते हैं. आइए जानते हैं दुनिया की सबसे ठंडी जगह के बारे में.
यह शहर रूस के सुदूर पूर्व में स्थित साइबेरिया का इलाका है जो दुनिया में सबसे ठंडा माना जाता है. इस जगह का नाम है याकुत्स्क जो रूस की राजधानी मॉस्को से 5000 KM पूर्व में स्थित है. क्योंकि इस जगह पर खनन अधिक है इसलिए यहां का पारा आमतौर पर माइनस 40 डिग्री तक गिर जाता है. यहां कोयला, सोना और हीरा का खनन होता है. जो यहां की अर्थव्यवस्था का सोर्स है.
इस सर्दी से बचने के लिए स्थानीय लोग दो स्कार्फ, दो जोड़े दस्ताने, कई टोपियां, हुड्स और जैकेट्स पहनते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि या तो इस ठंड में संघर्ष करो या एडजस्ट करो. खुद को ढंको या फिर चंद मिनटों में जान गवा दो. ये बात कड़वी जरूर है लेकिन यहां के लोगों के लिए सच्चाई है. स्थानीय लोगों ने एक समाचार चैनल को बताया कि आपको यहां ठंड महसूस नहीं होगी क्योंकि शरीर लगभग सुन्न हो जाता है.जब तक आपका दिमाग सामान्य है तब तक आपका शरीर तापमान के साथ एडजस्ट कर लेता है. बशर्ते आपने अच्छे और गर्म कपड़े पहने हो.
64.4 डिग्री सेल्सियस गिर चुका है पारा
यह शहर आर्कटिक सर्किल से 450 किलोमीटर नीचे दक्षिण की ओर यानी उत्तरी ध्रुव से करीब 450 किलोमीटर दूर स्थित है. इस शहर का औसत सालाना तापमान माइनस 8 डिग्री सेल्सियस है. बता दें, इस शहर का सबसे कम तापमान का माइनस 64.4 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था जो साल 1891 में रिकॉर्ड हुआ था.
122 वर्ग किलोमीटर इलाके में याकुत्स्क शहर बसा है. समुद्रतल से इस शहर की ऊंचाई बहुत ज्यादा नहीं है. यह समुंद्र तल से महज 312 फीट की ऊंचाई पर है. यहां की आबादी 3.55 लाख (2021) से थोड़ी ही ज्यादा थी. 1632 में कोसैक्स ईसाई समुदाय द्वाराइस शहर को बनाया गया था. हालांकि ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से यहां का पारा बढ़ रहा है.
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