नई दिल्ली। Vasiyat News: संपत्ति का बंटवारा मुश्किल कामों में से एक है। बता दें कि वसीयत नामा वो लिखता है जो कि उस संपत्ति का पूरा हकदार होता है, जिसकी वह वसीयत कर रहा है। लेकिन अक्सर मन में ये सवाल भी आता है कि क्या वसीयत को वसीयत मालिक की मृत्यु के बाद […]
नई दिल्ली। Vasiyat News: संपत्ति का बंटवारा मुश्किल कामों में से एक है। बता दें कि वसीयत नामा वो लिखता है जो कि उस संपत्ति का पूरा हकदार होता है, जिसकी वह वसीयत कर रहा है। लेकिन अक्सर मन में ये सवाल भी आता है कि क्या वसीयत को वसीयत मालिक की मृत्यु के बाद अंगूठा लगाकर भी अपने नाम पर किया जा सकता है। आइए जानते हैं क्या है इस बात की सच्चाई तथा क्यों लोगों को लगता है कि अंगूठा लगाने से वसीयत उनके नाम पर हो सकती है।
वसीयत नामा दो तरीके का होता है, एक रजिस्टर्ड वसीयत नामा तथा एक अनरजिस्टर्ड वसीयत नामा। बता दें कि अनरजिस्टर्ड वसीयत नामे को सादे कागज पर हाथ से भी लिखा जा सकता है। लिखने वाला इस वसीयत पर अपने साइन कर देता है या फिर अंगूठा लगा देता है। इसके अलावा इस वसीयत नामे पर दो गवाह भी चाहिए होते हैं और वसीयत बनाते समय दोनों गवाहों की भी आवश्यकता होती है। बता दें कि अगर पिता पहले बेटे के पास है और वहीं उसकी मृत्यु हो जाती है तो बड़ा बेटा उनकी मौत के बाद वसीयत पर अंगूठा तो लगवा लेगा, लेकिन इसे अदालत में चुनौती मिल सकती है।
यदि दूसरे भाई जो पिता से दूर थे वो सोचेंगे कि यह वसीयत कहां से आ गई। तो वे इस वसीयतनामे को अदालत में चुनौती दे सकते हैं। इस समय इस वसीयत के गवाहों की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में फिंगर प्रिंट रिपोर्ट भी न्यायालय के लिए महत्वपूर्ण हो जाएगी। बता दें कि अगर अंगूठा मौत के कई घंटो बाद लगाया गया है तो वो रिपोर्ट में पता लगाया जा सकता है, क्योंकि मौत के बाद शरीर में बदलाव हो जाता है। इसके अलावा स्याही तथा कागज की भी जांच होती है।