चेन्नई : ब्लड आर्ट के बारे में जानने से पहले आपको लिए जरूरी है कि आप देश में खून की स्थिति को समझें. तीन साल पहले एक स्टडी में खुलासा किया गया कि देश भर के ब्लड बैंकों में खून की भरी कमी है. दुनिया के 192 देशों पर लैंसेट हीमेटोलॉजी की स्टडी में यह खुलासा हुआ था. हर साल दुनिया में लगभग 100 मिलियन अतिरिक्त खून की आवश्यकता होती है. जिसमें से अकेले भारत को ही 40% मिलियन ब्लड चाहिए होता है. डेटा के अनुसार भारत के इस खून की डिमांड और सप्लाई में 400% का फर्क है.इस कारण बहुत कम समय में ही अधिक लोग दम भी तोड़ देते हैं.
देश में एक ओर ब्लड बैंक खून की कमी से जूझ रहे हैं तो दूसरी तरफ लोग खून से तस्वीरें बनाकर तस्वीरें गिफ्ट करने का नया चलन लाए हैं. जी हां! कुछ नया करने की दीवनगी में हदों को भूलने वाली युवा पीढ़ी इन दोनों ब्लड आर्ट को खूब पसंद भी कर रही है. उस आर्ट के जरिए प्रेमी-प्रेमिकाएं अपने इमोशन्स का इजहार कर रहे हैं. यह खून से लिखे खत से भी एक कदम आगे है जिसमें खून से सीधे पेंटिंग बनाई जा रही है.
ज्यादातर लोग A4 साइज के पेपर पर ब्लड आर्ट भी करवाते हैं. जिसके लिए 5 मिलीमीटर खून को जाया किया जाता है. वही कुछ लोग A3 पेपर पर भी पेंटिंग बनवाते हैं जिसके लिए लगभग दोगुना खून को जाया किया जाता है. ये खून संबंधित आर्ट स्टूडियो को दिया जाता है जो इसे एंटी-कोग्युलेंट (ब्लड को गाढ़ा होने से रोकने वाले केमिकल) में मिलाकर रखते हैं. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि यह खून कलाकार तक पहुंचते हुए जमकर खराब न हो जाए. इसके बाद कलाकार इस खून की पेंटिंग बनाकर क्लाइंट को देता है.
जरूरी नहीं है कि इन पेंटिंग्स को बनाते समय साफ़-सफाई का ध्यान रखा जाए. ऐसे में अगर गलती से भी इंफेक्टेड सुई किसी इंसान के खून के संपर्क में आ जाए तो कई इन्फेक्शंस फ़ैल सकते हैं. खासकर HIV/AIDS और हेपेटाइटिस जैसी गंभीर बीमारियां। प्रोटोकॉल का पालन न होने जैसे खतरों को देखते हुए अब तमिलनाडु हेल्थ मिनिस्टर ने आनन-फानन में स्टूडियो का निरीक्षण और ब्लड आर्ट पर रोक लगाने का फैसला किया है.
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