नई दिल्ली: भारत में कई ऐसी रहस्यमय गुफाएं हैं, जिनके बारे में आज तक कोई पता नहीं कर पाए हैं, एक ऐसे ही बिहार के मुंगेर जिला में रहस्यमयी गुफा स्थित है जिसके बारे में आज तक कोई सुलझा नहीं पाया है, यह गुफा आज तक लोगों के लिए एक रहस्य है. अक्सर आपने देखा […]
नई दिल्ली: भारत में कई ऐसी रहस्यमय गुफाएं हैं, जिनके बारे में आज तक कोई पता नहीं कर पाए हैं, एक ऐसे ही बिहार के मुंगेर जिला में रहस्यमयी गुफा स्थित है जिसके बारे में आज तक कोई सुलझा नहीं पाया है, यह गुफा आज तक लोगों के लिए एक रहस्य है.
अक्सर आपने देखा होगा कि किसी भी गुफा में एक छोर से अंदर जाते हैं और दूसरे छोर से बाहर निकल जाते हैं, लेकिन बिहार के मुंगेर जिले में स्थिति “मीर कासिम गुफा” में अंदर जाने के लिए रास्ता तो है, लेकिन बाहर निकलने के लिए दूसरे छोर का पता आज तक कोई नहीं लगा पाया है. कहा जाता है कि आज भी लोग इस गुफा के दूसरे छोर के बारे में जानने का प्रयास कर रहे हैं।
250 साल पुरानी मुंगेर के मीर कासिम गुफा का इतिहास काफी रोचक रहा है. बिहार में मुगलकाल की बात करने पर सबसे पहले मुंगेर जिले का नाम आते है. बुजुर्ग बताते हैं कि मुंगेर में गंगा नदी के कष्टहरणी घाट किनारे अंग्रेज से बचने के लिए नवाब मीर कासिम ने एक खुफिया गुफा बनाया था, जो आज भी सुरक्षित है।
बुजुर्गों की मानें तो मीर कासिम के बेटे प्रिंस बहार और बेटी राजकुमारी गुल का मकबरा भी इसी गुफा में मौजूद है. इस गुफा से छिपकर वह दोनों निकल रहे थे. इसी बीच अंग्रेज सिपाहियों ने उन्हें मार दिया था. यहां ऐतिहासिक धरोहरों के तौर पर काफी कुछ मौजूद है. इसके बावजूद भी यहां कोई सुविधा नहीं है. इस वाटिक (गुफा) में एंट्री फीस भी नहीं लगती है, इसके बावजूद भी यहां कोई घूमने नहीं आता है. बाहरी लोगों को तो छोड़िए स्थानीय लोग भी यहां आने से परहेज़ ही करते हैं. प्रशासन ने इस गुफा को सलामत रखने के लिए चारों तरफ से घेर कर एक छोटे से पार्क के तौर पर श्रीकृष्ण वाटिका बनवा दिया है, लेकिन इस ओर सरकार का बिल्कुल भी ध्यान नहीं है।
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