नई दिल्ली: मार्च 2022 में अंटार्कटिका में अत्यधिक गर्मी के लिए वायुमंडलीय नदियां ज़िम्मेदार थीं, और क्षेत्र के अधिकांश हिस्सों में तापमान सामान्य से 40 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया, जिससे ये रिकॉर्ड पर दुनिया की सबसे तेज़ गर्मी बन गई और यहां अब तापमान माइनस 40-50 डिग्री सेल्सियस रहता है. ये एक मौजूदा वैश्विक […]
नई दिल्ली: मार्च 2022 में अंटार्कटिका में अत्यधिक गर्मी के लिए वायुमंडलीय नदियां ज़िम्मेदार थीं, और क्षेत्र के अधिकांश हिस्सों में तापमान सामान्य से 40 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया, जिससे ये रिकॉर्ड पर दुनिया की सबसे तेज़ गर्मी बन गई और यहां अब तापमान माइनस 40-50 डिग्री सेल्सियस रहता है. ये एक मौजूदा वैश्विक अध्ययन से पता चलता है कि टीम का नेतृत्व स्विस जलवायु विज्ञानी जोनाथन विलेट ने किया. बता दें कि इस अध्ययन में भारत में 33 लाख वर्ग मीटर क्षेत्र पर गर्मी की लहरों का प्रभाव भी देखा गया था.
बता दें कि नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक वायुमंडलीय नदियां वायुमंडल में जलवाष्प वाला वो क्षेत्र है जिसे आकाशीय नदियों के रूप में जाना जाता है, और ये नदियां अधिकांश जल वाष्प को उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के बाहर ले जाती हैं. साथ ही वायुमंडलीय नदियां आकार और ताकत में काफी अलग-अलग भी हो सकती हैं, और औसत वायुमंडलीय नदी मिसिसिपी नदी के मुहाने पर पानी के औसत प्रवाह के एकदम बराबर जल वाष्प की मात्रा की ओर ले जाती है और असाधारण रूप से मजबूत वायुमंडलीय नदियां उस मात्रा से 15 गुना तक तेज़ हो सकती हैं. दरअसल जब वायुमंडलीय नदियां जब जमीन से टकराती हैं तो वो हमेशा इस जलवाष्प को बारिश और बर्फ के रूप में छोड़ती हैं.
वैज्ञानिको के मुताबिक इस घटना के कारण तटीय क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर सतह पिघल गई और समुद्री बर्फ की मात्रा रिकॉर्ड रूप से काफी कम हो गई, और इसके साथ ही ये माना जाता है कि वायुमंडलीय नदी के पश्चिम में एक अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवात कांगर आइस शेल्फ के अंतिम पतन का कारण बना है, जो पहले से ही गंभीर रूप से काफी अस्थिर था और पूर्वी अंटार्कटिका का कांगर बर्फ शेल्फ रोम के आकार का एक तैरता हुआ हिमखंड था. बता दें कि अध्ययनकर्ता डॉ. टॉम ब्रेसगर्डल के मुताबिक दुनिया भर में अत्यधिक तापमान और मौसम की घटनाएं काफी बड़े अंतर से रिकॉर्ड तोड़ रही हैं, ये घटना100 साल में होने वाली एक दुर्लभ घटना मानी जा रही है.