200 साल में अंटार्कटिका का ग्लेशियर हो जाएगा गायब, वैज्ञानिकों की चौंकाने वाली भविष्यवाणी से मचा हड़कंप!

नई दिल्ली: धरती पर कुछ ऐसी चीजें हैं जो इंसानों को सूरज की खतरनाक गर्मी से बचा रही हैं, उनमें से एक है अंटार्कटिका का विशाल ग्लेशियर. यह हमारे ग्रह के लिए बेहद अहम है, लेकिन हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है. अंटार्कटिका का एक बहुत बड़ा ग्लेशियर, जिसे ‘डूम्सडे ग्लेशियर’ के नाम से जाना जाता है, अगले 200 से 900 साल के बीच पूरी तरह पिघल सकता है. इस ग्लेशियर का आकार अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य जितना है और इसे थ्वाइट्स ग्लेशियर भी कहते हैं.

ग्लेशियर के पिघलने की वजह क्या है?

ग्लेशियर के पिघलने की सबसे बड़ी वजह ग्लोबल वार्मिंग यानी धरती का बढ़ता तापमान है. जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है, ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं. इसके अलावा, गर्म समुद्री पानी ग्लेशियर को नीचे से पिघला रहा है, जिससे वह कमजोर हो रहा है और टूट रहा है.

खतरा कितना बड़ा है?

अगर यह ग्लेशियर पूरी तरह से पिघल जाता है तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. इससे समुद्र का स्तर कई मीटर तक बढ़ सकता है, जिससे दुनियाभर के तटीय इलाके पानी में डूब सकते हैं. इसका मतलब है कि लाखों लोगों को अपने घर छोड़ने पड़ेंगे. साथ ही, मौसम में भी भारी बदलाव हो सकता है, जिससे दुनियाभर में मौसम अनिश्चित हो जाएगा. कई द्वीप और तटीय इलाके डूब सकते हैं, जिससे जानवरों और पौधों की कई प्रजातियां विलुप्त हो सकती हैं.

क्या कहती है ताजा रिसर्च?

नेचर जर्नल में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन के अनुसार, अगर वैश्विक तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होती है, तो अंटार्कटिका का बर्फीला हिस्सा तेजी से पिघलने लगेगा. यह स्थिति काफी गंभीर हो सकती है और दुनिया के कई हिस्सों को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है.

कैसे बचा सकते हैं इस संकट से?

इस संकट को रोकने के लिए सबसे जरूरी है कि ग्लोबल वार्मिंग को काबू किया जाए. हमें जीवाश्म ईंधन (कोयला, तेल) का उपयोग कम करना होगा और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों, जैसे सौर और पवन ऊर्जा, को अपनाना होगा. इसके साथ ही, वैज्ञानिकों को भी ग्लेशियर पर और रिसर्च करनी होगी ताकि इसे पिघलने से रोका जा सके. इस संकट से निपटने के लिए सभी देशों को एकजुट होकर काम करने की जरूरत है.

नतीजा साफ है: अगर अब कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले 200 सालों में अंटार्कटिका का विशाल ग्लेशियर पूरी तरह खत्म हो सकता है, जिससे धरती पर जीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा.

 

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