ऑफिस में नींद आने पर कर्मचारी को मिले 40 लाख रुपए, जानें कैसे हुआ ये चमत्कार

चीन से एक ऐसा मामला सामने आया है, जो दुनियाभर की कंपनियों के लिए एक सबक बन सकता है। एचआर विभाग ने झैंग की झपकी को उनकी थकान का नतीजा बताते हुए उनसे एक पेपर साइन कराया। वहीं बाद में कंपनी ने अपनी जीरो टॉलरेंस पॉलिसी का हवाला देते हुए झैंग को नौकरी से बर्खास्त कर दिया।

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ऑफिस में नींद आने पर कर्मचारी को मिले 40 लाख रुपए, जानें कैसे हुआ ये चमत्कार

Yashika Jandwani

  • November 27, 2024 8:48 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 hours ago

नई दिल्ली: चीन से एक ऐसा मामला सामने आया है, जो दुनियाभर की कंपनियों के लिए एक सबक बन सकता है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के ताईजिंग में एक केमिकल कंपनी ने अपने 20 साल से काम कर रहे कर्मचारी झैंग को ऑफिस में झपकी लेने पर नौकरी से निकाल दिया। वहीं इसके बाद यह मामला कोर्ट तक पहुंचा, जहां कर्मचारी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कंपनी को 40 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया गया।

इस तरह नौकरी से निकाला

झैंग, जो बीते दो दशकों से कंपनी में काम कर रहे थे, उन्होंने आधी रात तक काम करने के बाद अगले दिन ऑफिस में एक घंटे की झपकी ले ली। यह घटना कंपनी के सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। इसके बाद कंपनी के एचआर विभाग ने झैंग की झपकी को उनकी थकान का नतीजा बताते हुए उनसे एक पेपर साइन कराया। वहीं बाद में कंपनी ने अपनी जीरो टॉलरेंस पॉलिसी का हवाला देते हुए झैंग को नौकरी से बर्खास्त कर दिया।

एचआर द्वारा जारी नोट में लिखा गया कि कॉमरेड झैंग, आपने 2004 में कंपनी जॉइन की थी और हमारी जीरो टॉलरेंस पॉलिसी पर हस्ताक्षर किए थे। लेकिन आपने इस नियम का उल्लंघन किया है, इसलिए कंपनी आपको बर्खास्त कर रही है।

कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

झैंग ने कंपनी के फैसले को गलत बताते हुए ताईजिंग कोर्ट का रुख किया। कोर्ट में सुनवाई के दौरान जज जू क्यू ने कहा कि कंपनी के पास अपने नियम लागू करने का अधिकार है. हालांकिकार्रवाई तभी की जानी चाहिए जब कर्मचारी की गलती से कंपनी को बड़ा नुकसान हुआ हो। आगे जज ने कहा कि झैंग के झपकी लेने से कंपनी को कोई नुकसान नहीं हुआ था। इसके साथ ही जज ने झैंग के 20 साल के बेहतरीन प्रदर्शन और बढ़ती सैलरी को ध्यान में रखते हुए उनके पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने कंपनी को आदेश दिया कि वह झैंग को 40 लाख रुपये का मुआवजा दे। झैंग का यह केस यह भी दिखाता है कि नियम लागू करते समय कंपनियों को कर्मचारी के योगदान और परिस्थितियों का ध्यान रखना चाहिए।

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