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गजब का पेड़ जो बिना जड़ के हुआ बड़ा, न जानें कितने अपराधियों को चढ़ाया मौत के घाट

नई दिल्ली : भारत में कई ऐसी जगहें हैं जिनके रहस्य आज भी छुपे हुए हैं। यहां खोज के दौरान कभी किलों के रहस्य सामने आते हैं तो कभी चमत्कारी इतिहास सुनने को मिलता है। भारत में एक ऐसा मंदिर भी है जो अपने चमत्कारी पेड़ से घिरा हुआ है। आपको शायद इस बात पर यकीन न हो, लेकिन यह सच है कि यह पेड़ हवा में लटका हुआ है। जिसे देखकर आप पूरी तरह दंग रह जाएंगे। आइए आपको बताते हैं इस पेड़ की पूरी कहानी और इससे जुड़ा रहस्य जो आपके लिए बेहद रोचक हो सकता है।

हरियाणा के हिसार के हांसी में स्थित समधा मंदिर पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है। इस मंदिर के पास एक बरगद का पेड़ है, जिसकी कोई भी शाखा ज़मीन पर नहीं है। इसी वजह से यह पेड़ लंबे समय से हवा में झूल रहा है। ऐसा माना जाता है कि इस पेड़ का इस्तेमाल अपराधियों को मौत की सज़ा देने के लिए किया जाता था। पेड़ को फांसी के फंदे के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था। यह पेड़ सालों से ऐसे ही हवा में झूल रहा है।

बाबा जगन्नाथ पूरी महाराज ने डाला डेरा

यहां के स्थानीय लोगों के अनुसार बाबा जगन्नाथ पुरी जी महाराज इसी पेड़ के नीचे बैठकर ध्यान किया करते थे। 1586 ई. में जब बाबा जगन्नाथ पुरी महाराज ने हांसी में डेरा डाला तो वहाँ कोई हिंदू नहीं बचा था। स्थानीय लोगों का मानना ​​है कि जगन्नाथ पुरी जी इसी पेड़ के नीचे ध्यान किया करते थे और इसी तरह उन्होंने यहीं समाधि ली थी। लोग आज भी दूर-दूर से इस लटकते हुए पेड़ का आशीर्वाद लेने आते हैं।

पेड़ की पूजा करते है लोग

स्थानीय लोगों की इस पेड़ में बहुत आस्था है। लोग अक्सर इस पेड़ के चारों ओर धागा बांधकर प्रार्थना करते हैं। लोग इस पेड़ की पूजा भी करते हैं। कुछ साल पहले कई लोगों ने भी इस पेड़ की जांच शुरू की थी लेकिन उन्हें भी कोई सुराग नहीं मिला। पेड़ की जड़ें या तना अलग हो जाने के बाद भी जड़ें इस पेड़ को जिंदा रखती हैं। जांच में पता चला है कि बीच से टूटे पेड़ के बगल में इसका एक और मजबूत हिस्सा है, यह हिस्सा जमीन से जुड़ा हुआ है और टूटे हुए पेड़ को सहारा देता है।

क्या वैज्ञानिक कारण

कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि जब बरगद के पेड़ की शाखा कच्ची ज़मीन को छूती है, तो उसकी जड़ें मिट्टी के अंदर उगती हैं। शाखा से बनी इन जड़ों को सहारा जड़ें कहते हैं। यह जड़ पेड़ की सभी शाखाओं को पानी और पोषण दोनों प्रदान करती है। ये शाखाएँ इतनी मज़बूत होती हैं कि पुरानी शाखाएँ टूटने के बाद भी ये जड़ें उनका भार सहन कर लेती हैं। इसीलिए यह पेड़ आज तक खड़ा है।

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Manisha Shukla

पत्रकार हूं, खबरों को सरल भाषा में लिखने की समझ हैं। हर विषय को जानने के लिए उत्सुक हूं।

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