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झुग्गी बस्ती में रहने वाली अमिता बनी CA, पिता से लिपटकर रोई

नई दिल्ली: दिल्ली की झुग्गी बस्ती में रहने वाली अमिता प्रजापति ने देश की सबसे कठिन परीक्षा में से एक सीए परीक्षा को पास किया है. सीए बनने के बाद अमिता और की खुशी का ठिकाना नहीं है। इस सफलता के बाद अमृता के पिता और अमृता का ख़ुशी से रोने वाला वीडियो सोशल मीडिया […]

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amita
  • July 23, 2024 7:32 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 months ago

नई दिल्ली: दिल्ली की झुग्गी बस्ती में रहने वाली अमिता प्रजापति ने देश की सबसे कठिन परीक्षा में से एक सीए परीक्षा को पास किया है. सीए बनने के बाद अमिता और की खुशी का ठिकाना नहीं है। इस सफलता के बाद अमृता के पिता और अमृता का ख़ुशी से रोने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. वायरल वीडिया में CA बन चुकी अमृता पिता से लिपट कर रोते हुए नज़र आ रही हैं। इसी के साथ अमिता ने अपना वीडियो शेयर करते हुए एक कैप्शन के जरिए अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए अपनी सीए बनने की कहानी भी बताया।

10 साल की मेहनत

अमिता ने अपनी स्कूलिंग दिल्ली के कालकाजी इलाके में स्थित सरकारी सर्वोदय विद्यालय से की है और अपनी कड़ी मेनहत और लगन के बाद सीए की परीक्षा में सफलता हासिल की. बात दें, अमिता के पिता दिल्ली के तेहखण्ड इलाके में चाय बेचते हैं और लगभग 10 साल की लगातार मेहनत के बाद वो इस मुकाम पर पहुंची है. इसके बाद हर कोई अमिता के हौसले की तारीफ कर रहा है. लिंक्डइन पर पोस्ट भी साझा करते हुए अमिता ने लिखा ‘पापा मैं सीए बन गई. इस सपने को पूरा होने में 10 साल लगे. वहीं इस सपने को सच होने से पहले मैं. खुद से पूछती थी ये सपना ही है ये कभी सच होगा . वही आज सपना सच हो गया है.

लोगों के खूब ताने दिए

कहा जाता है कि इंतजार सफलता की प्रथम सीढ़ी होती है.अमिता दिल्ली के तेहखण्ड इलाके की रहने वाली हैं. 10 साल की मेहनत के दौरान उन्हें और उनके परिवार को कई लोगों के ताने भी सुनने पड़े, जिसका जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि पापा को लोग से कहते थे कि चाय बेचकर तुम इतना नहीं पढ़ा पाओगे?, इससे अच्छा पैसा बचाकर घर बनवा लो। जवान बेटी को लेकर कब तक सड़क पर रहोगे। वैसे भी बेटियां पराई धन होती हैं और इन्हें तो एक दिन जाना ही है फिर तुम्हारे पास क्या रह जाएगा। अमिता ने आगे बताया ‘मुझसे लोग कहते थे ‘झुग्गी झोपड़ी उल्टी खोपड़ी’ आज मुझे लगता है मेरी उल्टी खोपड़ी ने ही मुझे यहाँ तक पहुंचाया है. इस दिन का मैंने बहुत इंतज़ार किया है’.

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