नई दिल्ली: रेगिस्तान का जहाज कहे जाने वाले ऊंट को राजस्थान के लोग बहुत प्यार करतें हैं. उन्हें अपने बच्चों की तरह पालते हैं। लेकिन जब कोई ऊंट मर जाता है तो वे न तो उसके शव के पास जाते हैं और न ही किसी और को वहां जाने की सलाह देते हैं। आखिर ऐसा क्यों होता है ? आइए जानते है इसके पीछे की वजह.
दरअसल, ऊंट मरने के बाद का उसका शव बम के सामान जाता है। ऐसे में आपकी एक गलती और ऊंट का शव बम की तरह फट सकता है। ऊंट के मरने के बाद उसका शरीर बम बन जाता है। मरने के बाद ऊंट के कूबड़ में मौजूद चर्बी कई दिनों तक वैसी ही रहती है। बाद में धीरे-धीरे उसमें से मीथेन गैस बनने लगती है। इसके अलावा जब ऊंट का शरीर अंदर से सड़ने लगता है. शरीर सड़ने से उसके अंदर कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन और ऐसी कई खतरनाक गैसें बनने लगती हैं। यह गैस ऊंट की आंतों और शरीर में भरने लगती हैं। इससे ऊंट का पेट फूल जाता है और बहुत टाइट हो जाता है। ऐसे में अगर कोई ऊंट के शरीर से छेड़छाड़ करे तो वह बुरी तरह फट सकता है। इसका विस्फोट इतना भयंकर होता है कि अगर कोई इसके करीब चला जाए तो बुरी तरह घायल हो सकता है।
ऐसा नहीं है कि ऐसा सिर्फ ऊंटों के साथ ही होता है। अगर किसी भी जानवर का शव खुले में छोड़ दिया जाए तो वह गर्मी और धूप में गुब्बारे की तरह फूल जाएगा और फिर बम की तरह फट जाएगा। यही वजह है कि लोग जानवरों की मौत के बाद उन्हें मिट्टी में दफना देते हैं। ऐसा करने से शव धीरे-धीरे मिट्टी में ही सड़ने लगता है।
जब भी आपको खुले में किसी जानवर का शव दिखे तो भूल से भी उसके पास न जाएं, ऐसा करना आपके लिए जानलेवा हो सकता है। दरअसल, जब किसी जानवर के शरीर में विस्फोट होता है तो उसके शरीर की हड्डियां और मांस के बड़े-बड़े टुकड़े आपको घायल कर सकते हैं। कुछ महीने पहले राजस्थान के बीकानेर से भी ऐसा ही मामला आया था, जब ऊंट के शव की चपेट में आने से एक व्यक्ति घायल हो गया था।
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