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सावधान! 2015 है अब तक का सबसे गर्म साल, हालात और बिगड़ेंगे

पेरिस में होने जा रहे महत्वपूर्ण जलवायु सम्मेलन से ठीक पहले जलवायु परिवर्तन को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. संयुक्त राष्ट्र की मौसम एजेंसी ने बुधवार को बताया है कि साल 2015 रिकॉर्ड में सबसे गर्म साल रहने जा रहा है. विश्व मौसम संगठन के प्रमुख मिशेल जराउड ने कहा, ‘2015 रिकॉर्ड में सबसे गर्म साल होने जा रहा.

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  • November 26, 2015 5:35 am Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
जिनेवा. पेरिस में होने जा रहे महत्वपूर्ण जलवायु सम्मेलन से ठीक पहले जलवायु परिवर्तन को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. संयुक्त राष्ट्र की मौसम एजेंसी ने बुधवार को बताया है कि साल 2015 रिकॉर्ड में सबसे गर्म साल रहने जा रहा है. विश्व मौसम संगठन के प्रमुख मिशेल जराउड ने कहा, ‘2015 रिकॉर्ड में सबसे गर्म साल होने जा रहा.
 
एजेंसी ने जारी किए गए बयान में कहा, ‘यह ग्रह के लिए बुरी खबर है.’ संगठन ने बताया कि साल के शुरूआती 10 महीने के डेटा के मुताबिक भूमि और समुद्र पर इस साल मापे गए तापमान अपने उच्चतम स्तर पर रहे. ये 2014 में रिकॉर्ड ऊंचाई पर थे. संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने बताया कि प्राथमिक डेटा से जाहिर होता है कि वैश्विक औसत सतह तापमान 19वीं सदी के मध्य के स्तर के एक डिग्री सेल्सियस ऊपर के प्रतीकात्मक और महत्वपूर्ण स्तर पर पहुंच गया है.
 
संगठन ने बताया कि इस साल वैश्विक सतह तापमान भी 14 डिग्री सेल्सियस के 1961-1990 के औसत से करीब 0.73 डिग्री सेल्सियस ऊपर है. फ्रांस की राजधानी में शुरू हो रहे 12 दिवसीय सम्मेलन के लिए सोमवार को वहां 145 देशों से अधिक वैश्विक नेता जुटने वाले हैं जो औद्योगिक काल के पूर्व के समय से ग्लोबल वार्मिंग को दो डिग्री सेल्सियस ऊपर रखने के लिए जलवायु परिवर्तन पर एक समझौता करेंगे. 
 
जराउड ने कहा, ‘जलवायु परिवर्तन के कारण ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को नियंत्रित किया जा सकता है.’ उन्होंने कहा, ‘हमारे पास ज्ञान और कार्रवाई करने के माध्यम हैं. हमारे पास एक विकल्प है. भविष्य की पीढ़ी के पास यह नहीं होगा.’ पिछले साल समुद्री जल के सतह तापमान ने एक नया रिकॉर्ड बनाया था. संगठन ने कहा कि उसके इस साल समान रहने या उस स्तर के पार करने की संभावना है. संगठन ने कहा कि चूंकि मानव जनित ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन से जलवायु प्रणाली में संचित ऊर्जा का 90 फीसदी से अधिक को समुद्र सोख रहे हैं, जिसके चलते अत्यधिक गहराई में भी तापमान बढ़ रहा है.
 
एजेंसी

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