झांसी. यदि कोई व्यक्ति कुछ करने की ठान ले, तो पूरी कायनात उसे मिलाने में लग जाती है. ऐसा ही कुछ बुंदेलखंड के इलाकों में जल-जन जोड़ो अभियान में भी हुआ है. बुंदेलखंड में सूखा, पलायन और भुखमरी की गंभीर समस्या अभी तक बनी हुई है. यहां के कुछ लोगों पर चढ़े बदलाव के जुनून ने 100 से अधिक गांवों को जलसंकट से न केवल मुक्ति दिला दी है, बल्कि हज़ारों लोगों की जिदंगी में भी बदलाव ला दिया है. आलम है ये यहां हर तीन से पांच साल के बीच में सूखा पड़ जाता है. इसके कारण लोगों को खेतों से खाने तक को अनाज नहीं मिलता. कई लोग रोजगार की तलाश में पलायन को मजबूर होते हैं. बुंदेलखंड में फसल की बर्बादी पर हर साल सैकड़ों किसान खुदखुशी कर लेते हैं.
नदी को किया दोबारा जीवित
इन्हीं सब परेशानियों से निजात दिलाने के लिए जालौन जिले के मिर्जापुर गांव के पांच नौजवानों ने पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 1995 में सूखा की समस्या को ख़त्म करने के लिए गांवों को पानीदार बनाने के अभियान की शुरुआत की. इन लोगों ने मिलकर पहुज नदी का पानी गांव तक लाने का अभियान चलाया. एक पंप के सहारे पानी को ऊपर लाया गया और पाइप के जरिए खेतों तक पहुंचाया. इस कोशिश ने गांव की तस्वीर बदल दी. पानी मिलने से पैदावार कई गुना बढ़ गई. दूसरी ओर, हैंडपंप लगने से लोगों को साल भर पानी मिलने लगा. करमरा गांव ऐसा था जहां लोग अपनी बेटी को ब्याहने के लिए तैयार नहीं होते थे.
शुरुआत में आईं दिक्कतें, हार नहीं मानी
हालांकि इस अभियान को शुरुआत में समस्याओं के दौर से गुजरना पड़ा. कोई इन पर भरोसा ही नहीं करता था कि गांव को पूरे साल पानी भी मिल सकता है. जल-जन जोड़ो अभियान के संयोजक संजय सिंह ने बताया कि इस इलाके के छह जिलों जालौन, हमीरपुर, ललितपुर, झांसी, छतरपुर व टीकमगढ़ में उनकी संस्था परमार्थ समाज सेवा संस्थान 100 से ज्यादा गांव में स्थाई तौर पर पानी का इंतजाम करने में सफल रही है. विभिन्न अनुदान देने वाली संस्थाओं की मदद से उन्होंने 80 से ज्यादा तालाब और 800 से ज्यादा अन्य जल संरचनाओं का निर्माण कराया है.
IANS