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बड़ा अविष्कार: ऑपरेशन के बाद टांका लगाने के बदले ये गोंद 60 सेकेंड में घाव सील करेगा

जल्द ही घाव पर टांके लगवाने से मुक्ति मिल सकती है. वैज्ञानिकों की एक टीम ने अपने नए अध्ययन में अत्यधिक लचीला और चिपकने वाला सर्जरी गोंद विकसित किया है जो कि बिना टांके और स्टेपल के ही घावों को 60 सेकेंड में सील करने में सक्षम है

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  • October 5, 2017 12:01 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
सिडनी: जल्द ही घाव पर टांके लगवाने से मुक्ति मिल सकती है. वैज्ञानिकों की एक टीम ने अपने नए अध्ययन में अत्यधिक लचीला और चिपकने वाला सर्जरी गोंद विकसित किया है जो कि बिना टांके और स्टेपल के ही घांवों को 60 सेकेंड में सील करने में सक्षम है. शोधकर्ताओं की अंतरराष्ट्रीय टीम ने इस जीवन-रक्षक सर्जरी गोंद को विकसित किया हैजिसे MeTro नाम दिया है. शोधकर्ताओं के मुताबिक गोंद का अत्यधिक लचीला होना ही घावों को सील करने में ज्यादा मददगार बनाया है जो कि लगातार फैलते हैं जैसे कि फेफड़े, हृदय और धमनियां आदि, इनके दोबारा खुलने का खतरा बना रहता है. वैज्ञानिकों के अनुसार यह सर्जिकल गोंद शरीर के अंदर के घावों पर भी काम कर सकता है, जहां कि डॉक्टरों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है.
 
बोस्टन में पूर्वोत्तर विश्वविद्यालय के और अध्ययन के प्रमुख नसीम अन्नबी के मुताबिक MeTro की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये जैसे ही घाव के सतह के संपर्क में आएगा यह जेल की तरह उस स्थान को ठोस बना देता है. रिसर्चर ने कहा है कि MeTro  यूवी लाइट के साथ केवल 60 सेकेंड में घाव को जोड़ सकता है. शोधकर्ताओं ने कहा कि फिलहाल यह प्रौद्योगिकी के लिए अपमाजनक एंजाइम है लेकिन इसे संशोधित किया जा सकता है जिससे की यह पता चल सके कि यह घावों को कब तक सील करके रखता है. घंटे भर के लिए या फिर महीनों तक या फिर पर्याप्त समय तक घावों को ठीक करने के लिए. 
 
 
शोधकर्ताओं का चूहों और सूरओं पर इस जेल का परीक्षण सफल रहा है. परीक्षण में पाया गया है कि यह गोद चूहों और फेफड़ों की धमनियों को तेजी से सील करने में सफल रहा है. शोधकर्ताओं की माने तो गोंद के उपयोग का तरीका काफी साधारण है. इसे आसानी से स्टोर किया जा सकता है. सबसे बड़ी बात ये है कि इसका शरीर पर कोई साइड इफेक्ट.
 
शोधकर्ता टीम मेंबर और हावर्ड मेडिकल स्कूल के Ali Khademhosseini ने कहा है कि अगले कुछ सालों में यह साफ हो जाएगा कि इस जेल का उपयोग कैसे किया जाए. इस जेल का परीक्षण अभी तक केवल जानवरों पर ही किया गया है, मनुष्यों पर नहीं. शोधकर्ताओं ने उम्मदी जताई है कि जल्दी ही इसका यूज क्लीनिक में शुरू हो जाएगा. बता दे कि यह शोध विज्ञान अनुवादिक चिकित्सा में प्रकाशित किया गया है.
 

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