मदुरै. देश में अलग-अलग परंपराएं और रीति-रिवाज हैं. मगर कुछ परंपराएं ऐसी होती हैं जो हमारे समाज की संवदेनहीनता को दर्शाती है. परंपराओं के नाम पर देश में ऐसी-ऐसी हरकतें होती हैं, जिन्हें देखकर शर्म से माथा झूक जाता है. तमिलनाडु के मदुरै में ऐसी ही एक हैरान करने वाली परंपरा सदियों से चली आ रही है. आश्चर्य की बात है कि 21वीं सदी में भी मदुरै के मंदिर में 15 दिनों तक लड़कियों को बिना कपड़ों के रखा जाता है. यहां लड़कियों को देवी के रूप में सजाया जाता है, मगर उन्हें पूरी तरह से टॉपलेस रखा जाता है.
बाताया जाता है कि मंदिर में 10 साल से 14 साल तक की उम्र की इन लड़कियों को को रखा जाता है, जिसकी देख रेख पुजारी के जिम्मे होती है. नवरात्र में इन लड़कियों को देवी के रूप में पूजा जाता है. वस्त्र के नाम पर इन लड़कियों को महड लहंगे जैसा कपड़ा पहयाना जाता है. जिसमें भी कमर के ऊपर वाले हिस्से को पूरी तरह से खुला रखा जाता है.
हालांकि, लड़कियों के शरीर के ऊपर वाले हिस्से में कुछ आभूषण जरूर पहनाए जाते हैं. बताया जाता है कि मंदिर में करीब 60 गांवों के लोग इस आयोजन के लिए जुटते हैं. हैरान करने वाली बात ये है कि यहां किसी लड़की को जबरन नहीं रखा जाता, बल्कि उन्हें उनके परिवार वाले अपनी इच्छा से भेजते हैं. मगर इस बार इस आयोजन को लेकर प्रशासन ने सख्ती दिखाई है. प्रशासन ने इस परंपरा के खिलाफ सख्ती दिखाते हुए लड़कियों के शरीर को पूरी तरह से ढकने का आदेश दिया. हालांकि, बताया जाता है कि इस दौरान लड़कियों के साथ मंदिर में किसी तरह की छेड़छाड़ की घटना नहीं होती है.
प्रशासन के मुताबिक, वे इस परंपरा पर इसलिए रोक नहीं लगा सकते क्योंकि लोग अपनी परंपरा और रीति-रिवाज के तहत खुद लड़कियों को यहां भेजते हैं, बरसों से ये परंपरा चली आ रही है, इसलिए इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती. हालांकि, सुरक्षा के लिहाज से प्रशासन ने शरीर को ढंकने का आदेश दिया है.