नई दिल्ली. कलाकार की कृति को समझ लेना मुश्किल काम है. लेखक की कल्पना को पकड़ना भी आसान नहीं है. ऐसे में पत्रकार-लेखक पति और पेंटर-कला इतिहासकार पत्नी की जोड़ी का लिखा या बनाया पकड़ना और भी दूभर है.
जे सुशील पत्रकार हैं. लिखते हैं. मीनाक्षी जे पेटिंग करती हैं. दोनों जेएनयू वाले हैं. दोनों मिलकर ऑर्टोलॉग चलाते हैं. ये एक प्रोजेक्ट है जिसके तहत ये दोनों प्राणी बुलेट पर सवाल होकर देश के कोने-कोने में जाते हैं और अपने मेजबान के घर की दीवार को कैनवास बना डालते हैं.
जे सुशील ने 2013 में एक ब्लॉग लिखा था. हिन्दी साहित्य के छायावाद जैसा कुछ. उनकी हमसफर और दोस्त मीनाक्षी जे ने उस ब्लॉग की छाया को पकड़कर 2014 में कैनवास पर कुछ चित्र बना दिए.
इससे आगे बिना कुछ कहे हम सीधे जे सुशील का
अंग्रेजी में लिखा वो ब्लॉग हिन्दी करके चिपका रहे हैं और बीच-बीच में मीनाक्षी की बनाई पेटिंग. उनके ऑर्टोलॉग का लिंक ये रहा जहां आप उनके बाकी काम को देख सकते हैं. http://artologue.in
हर लड़की का एक इतिहास है और हर लड़के का भूगोल. अलबत्ता, हर लड़की की दिलचस्पी लड़के के इतिहास में होती है जबकि लड़के की रुचि लड़की के भूगोल में. इतिहास और भूगोल के इन पत्थरों पर प्यार के घास उगते हैं.
जहां इतिहास और भूगोल का झगड़ा खत्म होता है वहां दर्शनशास्त्र का जन्म होता है. एक बच्चे का दर्शनशास्त्र.
मैं इतिहास में कमजोर था. वो भूगोल में तेज थी. प्यार की घास हमसे दूर थी और हम फ्रॉयड की झोली में गिर गए.
दिल धड़कता रहता है और बिस्तर बन जाता है. आप लिखते रहते हो लेकिन बेचारे बन जाते हो. मैं उसके भूगोल के पीछे भाग रहा था और वो मेरा इतिहास बन रही थी.
फिर एक दिन इतिहास ने भूगोल को घेर लिया और वो दोनों इडेन के गार्डेन में पहुंच गए. भूगोल के घिरते ही गणित का जन्म हुआ और वहां से शुरू हुआ तर्क, फिजिक्स और मेटाफिजिक्स का सफर.
किसी भी बड़े शहर में हर बातचीत छोटी है और छोटे शहर में हर बातचीत बड़ा मसला है. बड़े शहर में हर चीज भूगोल पर जाकर फंस जाती है. छोटे शहर में हर चीज इतिहास पर जाकर रुकती है.
जब भूगोल बदलता है तो इतिहास बनता है. नया भूगोल हमेशा पुराने इतिहास के बारे में पूछता है लेकिन इतिहास हमेशा भूगोल में उलझा रहता है.
इतिहास कभी भी भूगोल से उसका इतिहास नहीं पूछता. इतिहास के नसीब में लिखा है कि वो भूगोल के पीछे भागे, उसे पकड़े और उसे इतिहास में बदल दे.
एक दिन इतिहास ने भूगोल को अपनी कहानी सुनानी शुरू की. भूगोल पलटी और अपना आसन बदला. इतिहास ने वैसा लोच कभी नहीं देखा था और फिर दोनों घास उगाने लगे. प्यार की घास.
फिर एक दिन भूगोल ने इतिहास से कहा कि वो इतितास पढ़ना चाहती है. इतिहास के पास जवाब नहीं था. वो पुराने भूगोल को भूलने लगा और ये सोचकर नए भूगोल की शुरुआत की कि क्यों ना कुछ घास उगाई जाए. प्यार की घास.
इतिहास को जैसे ही नया भूगोल मिलता है वो उसका इतिहास भूल जाना चाहता है लेकिन भूगोल है कि हमेशा इतिहास के इतिहास में दिलचस्प दिखती है.
इतिहास हमेशा भूगोल खेलना चाहता है औऱ भूगोल हमेशा इतिहास खेलना चाहता है. जाहिर तौर पर घास का नुकसान होता है. प्यार की घास.
इतिहास और भूगोल के झगड़े में सब कुछ खत्म हो गया. सालों पहले. हाथों पर अब झुर्रियां हैं. इतिहास भूगोल के इतिहास में उलझा था और भूगोल इतिहास के भूगोल में पागल.