व्यंग्य: बाबा गजोधर करीम की जज सुंदर लाल त्रिपाठी की कोर्ट में पेशी

नई दिल्ली. बाबा गजोधर करीम ने हाईकोर्ट में अपील की तो जज सुंदर लाल त्रिपाठी रोहतक जेल ही आ गए सुनवाई को, जॉली एलएलबी वाले, प्रमोशन जो हो गया था पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में.
जज सुंदर लाल- अच्छा तो बाबाजी….आपका नाम डॉक्टर गजोधर करीम इंसान है जी
बाबा- जी जज साहब
जज सुंदर लाल- बाबाजी, फिर तो ये रेप नहीं गैंगरेप हुआ, सजा कम कहां से होगी बढ़ जाएगी.
बाबा (दुखी होकर)- ऐसा मत करो माई-बाप
जज सुंदर लाल– देखो ये निरूपा रॉय की एक्टिंग तो मेरे सामने करने की कतई जरूरत नहीं और मासूम आप कितने हैं आपकी चार्जशीट में लिखा है…. चार्जशीट से याद आया ये हाईकोर्ट के लिए एप्लीकेशन भी आपने ही तैयार की है.
बाबा– हां जज साहब, डॉक्ट्रेट करने के बाद एलएलबी भी कर रहा हूं ना.
जज– तभी रेप की जगह रैप और चार्ज की जगह चार्जर लिख रहा है आपने.
बाबा– सीख रहा हूं मालिक.
जज– नहीं सीख तो आप बहुत गए हैं, सुना है अपनी फिल्म में 43 पद आप ही के पास थे. आपको पता नहीं होगा बता देता हूं… हाईकोर्ट में 45 पीआईएल आपके खिलाफ आई हैं, उनका भी आपकी एप्लीकेशन के साथ निबटारा करना है.
बाबा – (खामोश)
जज– बाबाजी मुझे पता है आप क्यों खामोश हैं, चिंता मत करो… हर PIL का मतलब वो प्रेग्नेंसी वाली पिल नहीं होता..
बाबा– नहीं जी मैं तो किसी ‘लायक’ ही नहीं हूं, टेस्ट करवा लीजिए.
जज—आप बस सजा के लायक हैं, टेस्ट और टी-ट्वंटी अब जेल में खेलना. तो रेप की सजा के अलावा आपकी जो सजा बढ़ी है वो आपको बता देता हूं. सबसे पहली सजा इतनी झिलाऊ फिल्में बनाने की… तो आपकी सजा ये है कि आपको जेल में गजेन्द्र चौहान की सारी फिल्में दिखाई जाएंगी, एक बार नहीं बीस बीस बार.
बाबा – लेकिन….
जज– लेकिन वेकिन कुछ नहीं, आधी पेटीशन तो इन्हीं फिल्मों के खिलाफ हैं, फिर क्या आप अपनी फिल्मों में प्रोडयूसर का काम छोड़कर बाकी सारे काम करते हैं, 43 रोल एक्टर से लेकर ड्रेस डिजाइनर और मेकअप डायरेक्टर तक. आपकी इसी खूबी के चलते हफ्ते में एक दिन अपनी बैरक के सारे काम आपको करने होंगे, जैसे टॉयलेट क्लीनिंग- स्वच्छता अभियान के लिए तो आपने रिकॉर्ड बनाया ही था, नाश्ता तैयार करने से लेकर खाना बनाने तक. दिन आप चुन लीजिए, ये आपको सुंदर लाल त्रिपाठी यानी हमारी तरफ से छूट है.
बाबा– मगर मुझे तो ये काम आते नहीं.
जज—जब मेकअप करना और फोटोग्राफी सीख गए तो कुकिंग भी सीख जाओगे बाबाजी, आंय… आप तो ऑलराउंडर हैं.. अगली सजा सुनिए… क्या तकिया कलाम था आपकी फिल्म जट्टू इंजीनियर में आपका? हां.. वो थुक्क लगा के….. हर संडे आपको एक हजार लिफाफे बनाने होंगे, उसमें भी थुक्क लगाने की ही जरूरत पड़ती है… और वो क्या आपका शौक है ना वो काउ मिल्क पार्टी का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने का तो मैंने शहर की एक गौशाला की गायें यहां पीछे रोहतक जेल की बैक साइड में एक खाली जगह में लाने को बोला है, जेल की ही गौशाला होगी. क्या है ना सोशल सर्विस का काम है… ये गऊरक्षक तो आजकल करते नहीं….तो 6 दिन सुबह शाम उनकी सेवा की जिम्मेदारी आपकी..और केवल आपकी ही होगी, काउ मिल्क पार्टी भी कर लेना, थोड़ी गऊ सेवा भी हो जाएगी..और हां एक भी गाय अगर उम्र से पहले मर गई तो आपकी सजा एक साल और बढ़ जाएगी
बाबा- लेकिन मैं अकेले
जज-आप अकेले कहां हो गुरमीत, आपके साथ तो गजोधर है, करीम है, इंसां है और अब तो डॉक्टर भी, कल को वकील भी हो ही जाओगे
बाबा– लेकिन मुझे तो काफी गम्भीर बीमारियां हैं.. कुछ हो गया तो…
जज– इस कुर्सी पर बैठ कर देखो बाबा, तीन महीने में बाईपास सर्जरी ना हो जाए तो नाम बदल देना… काम क्या है आपको यहां बैठकर पता चलेगा
बाबा– आपने सजा कम तो नहीं की जज साहब उलटे बढ़ा दी.. जब तक आप कम नहीं करोगे, मैं तो यहां से नहीं जाऊंगा, यहीं फर्श पर बैठा रहूंगा.
जज—अरे क्या कर रहे हो बाबाजी….. जब लोग कोर्ट में महीनों पोंछा नहीं लगाते हैं, तो जेल में कहां लगाते होंगे.. उठ जाओ, कुछ और बीमारी के विषाणु घुस जाएंगे
बाबा—तो आप मेरी सजा कम तो करो कुछ
जज– बाबाजी, अभी तो मैंने पीआईएल पूरी निबटाई भी नहीं है, आप तो उलटी बात करने लगे. आपको पता है क्या क्या इलजाम है आपके ऊपर- इतना बेसुरा आपने एल्बम बनाया रॉक स्टार बन कर लव चार्जर, क्या झंडू गाने हैं सिस्टम हिला दिया… कैसे घटिया स्पेशल इफैक्ट्स हैं आपकी फिल्मों के, कैसे-कैसे ऊलूल-जूलूल वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए हैं आपने.. हाथ धोने का…. बताओ… अभी तो बॉलीवुड के पच्चीस डायरेक्टर्स की ज्वॉइंट पीआईएल भी है आपके खिलाफ कि एक सिनेमा हॉल में फिल्म नहीं दिखती आपकी और आपकी हर फिल्म की पांच सौ करोड़ से ज्यादा की कमाई की फर्जी प्रेस रिलीज कैसे जारी हो जाती है… और उन मीडिया वालों की अलग से पीआईएल है जिनको आपने कभी कोई गिफ्ट नहीं दिया… डेरे पर नहीं बुलाया….वो इसी बात से नाराज हैं… और ये कीकू शारदा की… ये एड ना मिलने से नाराज टीवी मालिकों की…सपोर्ट नाम मिलने से परेशान नेताओं की….ये…अरे कोई संभालो बाबाजी को…. अरे कोई देखो….ऑर्डर..ऑर्डर….
बाबाजी बेहोश…….!
डिस्क्लेमर– पात्र और संवाद पूरी तरह काल्पनिक हैं.
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