लंदन: एक मां-बाप के लिए अपने बच्चे की मौत की गुहार लगाना बहुत बड़ी बात है. जिस बच्चे के लिए आप भगवान से लड़ाई कर लो उसकी मौत की विनती करना एक मां के लिए बहुत बड़ी बात होती है. लेकिन आज हम एक ऐसी मां की बात करेंगे जो अपने बच्चे की मौत चाहती हैं.
ब्रिटेन से एक ऐसा मामला सामने आया है जिससे आप भी जानकर हैरान हो जाएंगे. 11 महीने के चार्ली गार्ड जो कि अपनी भयानक बीमारी की वजह से मौत की जंग लड़ रहे हैं. चार्ली का ब्रेन भयानक जेनेटिक बीमारी की वजह से डैमेज हो गया है जिसकी वजह से सांस लेने में दिक्कत हो रही है.
इस बात को ध्यान में रखते हुए और अपने बेटे की सही इलाज के लिए चार्ली के माता-पिता अमेरिका जाना चाहते हैं. लेकिन इसी बीच यह खबर आ रही है कि चार्ली के माता-पिता अपने बच्चे को दर्द में देखकर इतने दुखी है कि वह अपने ही बच्चे की मौत चाहते हैं.
जी हां चार्ली के माता-पिता अपने बेटे की इच्छा मृत्यु चाहते हैं. अब वे लंदन के अस्पताल के साथ मिलकर तय करेंगे कि चार्ली की सांसें कैसे थमे. पहले उन्होंने लाड़ले का इलाज अमेरिका में कराने की कानूनी जंग लड़ी, लेकिन कोई फायदा नहीं होने की आशंका से उन्होंने भारी मन से यह फैसला किया. चार्ली को दुर्लभ बीमारी है, जिसकी वजह से उसकी मांसपेशियां लगातार कमजोर व दिमाग क्षतिग्रस्त हो रहा है.
पूरी दुनिया में चार्ली के हो रही है दुआएं
चार्ली की मां कोनी येट्स ने लाड़ले को जिंदा बचाने के लिए कानूनी व सामाजिक अभियान चलाया था. उनके अभियान को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप व ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का समर्थन मिला था. येट्स का कहना है “यदि उसे जल्दी इलाज मिल गया होता तो वह सामान्य जीवन जी पाता.”
वेंटिलेटर बंद करने का मुद्दा कोर्ट में
येट्स ने सोमवार को लंदन की हाई कोर्ट में जज के सामने कहा, “यह काफी कठोर फैसला था, जिसे हमें कभी तो लेना ही था. उसका लंबा इलाज समय की बर्बादी है. इसलिए हमने अपने बेटे को अलविदा होने देने का निर्णय किया है.” कोर्ट इस मुद्दे पर विचार कर रही है कि एक अस्पताल को जीवन-रक्षक प्रणाली (वेंटिलेटर) का स्विच क्यों बंद नहीं करना चाहिए?
इलाज के लिए जाना था अमेरिका
चार्ली को दुर्लभ जेनेटिक बीमारी है. इसमें उसकी मांसपेशियां तेजी से कमजोर होती हैं और ब्रेन क्षतिग्रस्त होता है. उसके परिजन प्रयोगात्मक थैरेपी के लिए उसे अमेरिका भेजने का प्रयास कर रहे थे.
कोर्ट ने नहीं दी इजाजत ब्रिटेन की अदालतों के साथ ही योरपीय संघ की मानवाधिकार कोर्ट ने भी उसे अमेरिका ले जाने की इजाजत नहीं दी, क्योंकि थैरेपी से बच्चे को लंबी पीड़ा से निजात मिलेगी, उसकी कोई पक्की उम्मीद नहीं थी.
बता दें कि सुनवाई के दौरान वकील ग्रांट आर्मस्ट्रांग ने कहा, चार्ली के माता-पिता लंबी कानून जंग छोड़ चुके हैं, क्योंकि जांच में पता चला है कि बच्चे की सेहत को इतना नुकसान हो चुका है कि उसकी भरपाई संभव नहीं है. बहुत देर हो गई है और वक्त हाथ से निकल चुका है. वह लंबे समय से इलाज की बाट जोह रहा था, लेकिन कानूनी विलंब के कारण अवसर हाथ से फिसल गया है.