OMG! …तो इस देश में खड़े होकर पेशाब करेंगी लड़कियां

क्या आपने कभी सुना है कि लड़कियां खड़े होकर पेशाब करती हैं? क्या आपने कभी सुना है कि इसी दुनिया में लड़कियों को भी खड़े-खड़े पेशाब करने की ट्रेनिंग दी जा रही है? अगर नहीं, तो अब ये सब देखने और सुनने के लिए तैयार हो जाइये. आपको ये सुनकर भले ही जरा अजीब लगे, मगर अब जल्द ही लड़कियां लड़कों की तरह खड़े होकर पेशाब करेंगी.

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OMG! …तो इस देश में खड़े होकर पेशाब करेंगी लड़कियां

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  • May 7, 2017 5:54 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली: क्या आपने कभी सुना है कि लड़कियां खड़े होकर पेशाब करती हैं? क्या आपने कभी सुना है कि इसी दुनिया में लड़कियों को भी खड़े-खड़े पेशाब करने की ट्रेनिंग दी जा रही है? अगर नहीं, तो अब ये सब देखने और सुनने के लिए तैयार हो जाइये. आपको ये सुनकर भले ही जरा अजीब लगे, मगर अब जल्द ही लड़कियां, लड़कों की तरह खड़े होकर पेशाब करेंगी. 
 
दरअसल, सभी जगह महिला टॉयलेट न होने की वजह से लड़कियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इसलिए ऑस्ट्रिया में ग्रीन पार्टी नाम की एक संस्था लड़िकयों को खड़े होकर पेशाब करने की ट्रेनिंग देने की योजना बना रही है. इसके लिए ट्रेनिंग शुरू भी कर दी गई है. 
 
बताया जा रहा है इस ट्रेनिंगा उद्देश्य सिर्फ इतना है कि इसके माध्यम से लड़कियों को विषम परिस्थितियों के लिए तैयार किया जाएगा. इसके लिए महिलाओं को दो डिवाइस दी जा रही हैं. ‘Pibella’ और ‘Urinella’ नाम के इस दो डिवाइस के जरिये महिलाएं और लड़कियां खड़े होकर पेशाब कर सकेंगी. 
 
यूपीआई की खबर के अनुसार, सार्वजनिक शौचालय में गंदगी काफी होती है जिसके कारण महिलाएं पेशाब करने से कतराती हैं. इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए इस संस्ता ने इस योजना को शुरू किया है. बता दें कि ये संस्था महिलाओँ से संबंधित हर मुद्दे पर समय-समय पर बैठक करती रही है. 
 
बताया जा रहा कि इस ट्रेनिंग और किट के मिलने के बाद शौचालय की गंदी सीट पर महिलाओं को बैठने की जरूरत नहीं पड़ेगी और वो खड़े-खड़े पेशाब कर सकेंगी. बताया जा रहा है कि ऑस्ट्रिया में कामकाजी महिलाओँ के लिए ये ट्रेनिंग काफी मददगार होंगी.
 
गौरतलब है कि कुछ देशों में महिलाओं को खड़े होकर पेशाब करने की सुविधा प्रदान करने वाला किट पहले से इस्तेमाल होता रहा है. ऑस्ट्रिया में कामकाजी महिलाओँ की संख्या काफी ज्यादा है और वहां की लड़कियों-महिलाओँ को इन समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है. इसलिए वहां के लिए इस योजना को सही माना जा रहा है. 

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