नई दिल्ली: इंडिया न्यूज की खास खबर में देखिए ‘लिलिपुट नगर’. यह खास नगर भारत में है, भारत के असम में बौने लोगों का अनोखा गांव बसा है. बौनों के गांव को आमार गांव यानी हमारा गांव कहा जाता है. बचपन में आपने लिलिपुट आइलैंड को किताबों में पढ़ा ही होगा.
असम में ऐसा ही एक गांव है. भारत-भूटान सीमा से कोई तीन-चार किलोमीटर पहले आमार नाम के इस गांव में 70 लोग रहते हैं. दूसरे गांवों के लोग इसे बौनों का गांव कहते हैं और गांव को बसाने वाले पवित्र राबा को बौनों का सरदार. आमार में किसी भी शख्स की ऊंचाई साढ़े तीन फीट से ज्यादा नहीं है. यहां कोई अपनी इच्छा से रहने आया है तो किसी को उसी के परिवार वाले यहां छोड़कर गए हैं.
असम के अलग-अलग कोनों से आए छोटे कद के ये लोग अब एक परिवार की तरह यहां रह रहे हैं. पवित्र बताते हैं- जब भी मैं ऐसे लोगों को मजाक बनते देखता था, बैचेन हो जाता था. आखिर ऐसे ही एक दिन विचार आया कि अगर ये सभी लोग एक जगह रहेंगे तो कोई इनका मजाक नहीं उड़ा सकेगा. यही सोचकर मैंने इस गांव को बसाने की सोची. पवित्र ने असम के अलग-अलग हिस्सों से छोटे कद के इन लोगों को यहां इकट्ठा किया है.
एनएसडी के छात्र रहे पवित्र कहते हैं-जब हम गांवों में जाते थे तो इन लोगों के परिवारों को लगता था कि हम शायद इन्हें सर्कस में बेच देंगे. जहां भी जाते लोग नाराज होते. लेकिन गांव के लोगों की मदद से वह सबको मनाने के लिए तैयार हुए. 45 दिन का थिएटर वर्कशॉप किया और उनकी जिंदगी को लेकर असमिया में नाटक ‘कीनो काओ’ यानी क्या कहें का मंचन करना शुरू किया. लोगों को समझाना शुरू किया. जब ऐसे लोग जुट गए तो इन्हें बसाने की चुनौती सामने आई. आखिर पांच बीघा जमीन पर इन 70 लोगों के लिए दो मंजिला कच्चे घर बनाए गए.