राजनांदगांव : भारत में वैसे तो कई देवी-दवताओं के मंदिर हैं और यहां अनगिनत मान्यताएं हैं. इसी विविधता में ही भारत में एक ऐसा मंदिर है, जहां कुत्ते की पूजा की जाती है. यह मंदिर छत्तीसगढ़ में राजनांदगांव के मालीघोरी खपरी में स्थित है. कुकरदेव नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर में कुत्ते की प्रतिमा स्थापित है.
लोगों का मानना है कि इस मंदिर में कुकुरदेव की पूजन करने से कुकुरखांसी और कुत्ते के काटने से होने वाली बीमारियों से सुरक्षा होती है. अगर किसी को कुत्ता काट लेता है तो वह इस मंदिर में जल्दी ठीक होने की मन्नत मांगता है.
हालांकि, इस मंदिर के गर्भगृह में एक शिवलिंग भी स्थापित है और मंदिर की दीवारों पर नाग देवता की आकृति बनी है. इसके आंगन में शिलालेश लगा है. इसके अलावा यहां पर भगवान श्रीराम और लक्ष्मण की भी प्रतिमाएं है.
कुकुरदेव की कहानी
कुकुरदेव के लेकर एक कहानी भी प्रचलित है. कहा जाता है कि किसी समय यहां बंजारों की बस्ती थी. उस बस्ती में रहने वाले एक बंजारे ने अकाल पड़ने पर अपना कुत्ता एक साहूकार के पास गिरवी रख दिया.
एक रात साहूकर के घर पर चोरी हुई तो कुत्ते ने साहूकार को सुबह वो जगह दिखाई जहां चोरों ने माल छिपाया था. इससे खुश होकर साहूकार ने कुत्ते को छोड़ दिया और उसके गले में एक चिट्ठी बांध दी. कुत्ता सीधा अपने पुराने मालिक के पास गया. लेकिन, मालिक को लगा कि वह साहूकार के पास से भागकर आया है.
बनाई कुत्ते समाधी
उसने गुस्से में आकर कुत्ते को इतना पीटा की उसकी मौत हो गई. जब बंजारे ने कुत्ते के गले में बंधी चिट्ठी पड़ी, तो उसे बहुत दुख हुआ. इसी दुख में उसने कुत्ते की समाधी बनवा दी. तब से धीरे-धीरे लोग उस समाधी पर आने लगे और यहां मंदिर बन गया.