नई दिल्ली. किन्नरों को लेकर हमेशा से तरह-तरह की बात कही जाती है. इनकी दुआ, पर्सनल लाइफ, बद्दुआ को लेकर कई तरह की बातें या राज है . कभी आपने सोचा है हमारे यहां, किन्नर, हिजड़ा और न जाने क्या-क्या. आम आदमी इनके पैसे मांगने का ज्यादा विरोध नही करता और चुपचाप निकाल कर दे देता हैं.
किन्नर समुदाय ख़ुद को शुभ बोलने वालने मानते हैं, इसलिए ही ये लोग बस विवाह, जन्म समारोह जैसे मांगलिक कामों में ही भाग लेते हैं. मरने के बाद भी ये लोग मातम नहीं मनाते, बल्कि ये खुश होते हैं कि इस जन्म से पीछा छूट गया.
किन्नर की दुआ क्यों है खास
किन्नर की दुआएं किसी भी व्यक्ति के बुरे समय को दूर कर सकती हैं माना जाता है कि इन्हें भगवान श्रीराम से वनवास के बाद वरदान प्राप्त हैं कहा जाता है कि इनसे एक सिक्का लेकर पर्स में रखने से धन की कमी भी दूर हो जाती हैं.
किन्नरों की बद्दुआ इसलिए नही लेनी चाहिए क्योकिं ये बचपन से लेकर बड़े होने तक दुखी ही रहते हैं ऐसे में दुखी दिल की दुआ और बद्दुआ लगना स्वाभाविक हैं. किन्नर अपने आराध्य देव अरावन से साल में एक बार विवाह करते है, ये विवाह लेकिन मात्र एक दिन के लिए ही होता है. शादी के अगले ही दिन अरावन देवता की मौत हो जाती है और इनका वैवाहिक जीवन खत्म हो जाता है.
2014 से पहले इन्हें समाज में नही गिना जाता था. अभी भी इनके साथ हुए बलत्कार को बलत्कार नहीं माना जाता. अगर किसी के घर बच्चा पैदा होता है और उस बच्चे के जननांग में कोई कमजोरी पायी जाती है, तो उसे किन्नरों के हवाले कर दिया जाता है.
किन्नरों के मौत का राज
किसी की मौत होने के बाद पूरा हिजड़ा समुदाय एक हफ्ते तक भूखा रहता है. किन्नरों के बारे में अगर सबसे गुप्त कुछ रखा गया है, तो वो है इनका अंतिम संस्कार. जब इनकी मौत होती है, तो उसे कोई आम आदमी नहीं देख सकता.
इसके पीछे की मान्यता ये है कि ऐसा करने से मरने वाला फिर अगले जन्म में किन्नर ही बन जाता है. इनकी शव यात्राएं रात में निकाली जाती है. शव यात्रा निकालने से पहले शव को जूते और चप्पलों से पीटा जाता है. इनके शवों को जलाया नहीं जाता, बल्कि दफनाया जाता है.