नई दिल्ली. 21वीं सदी में भी आज आसमान में अजूबा दिखेगा. धरती के धरती के चारों ओर परिक्रमा करने वाला चंद्रमा आज रात धरती के बेहद नजदीक होगा. इस दौरान आप चांद को 14 फीसद बड़ा और 30 फीसद और चमकीला देख सकेंगे. इस तरह का अगला नजारा इसके बाद साल 2034 में देखने को मिलेगा तो ऐसा न हो कि आप मौका चूक जाएं.
क्या है सुपरमुन
इस पूरे मामले पर नासा का कहना है कि चंद्रमा का एलिप्टिकल ऑरबिट होता है, इसका एक हिस्सा (perigee) पेरिजी कहलाता है तो वहीं दूसरा हिस्सा (apogee) अपोजी कहलाता है. पेरिजी का पूरा हिस्सा लगभग 48,280 किमी (30,000 मील) है. इसके अलावा जब सूर्य, चंद्रमा और धरती एक कतार में आते हैं तो उसे (syzygy) सिजिगी कहते हैं.
जब पृथ्वी-चंद्रमा-सूर्य पेरिजी में पड़ते हैं और चंद्रमा हमसे नजदीक होता है तो उसे सिजिगी कहते हैं. वहीं जब चंद्रमा पृथ्वी के दूसरे तरफ होता है तो उसे हम पेरिजी-सिजिगी कहते हैं.
इस वजह से चंद्रमा हमें अपेक्षाकृत नजदीक और चमकदार दिखता है. इसे सुपरमून कहकर संबोधित किया जाता है. विज्ञान की भाषा में इसे पेरिजी चंद्रमा कहेंगे.
इस पर क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
ऐसा भी नहीं है कि सुपरमून का कॉन्सेप्ट कोई नई चीज है. यह अक्सर दिखता रहता है. बीते 16 अक्टूबर को यह दिखा था और इस साल आज के दिन ये नजारा दिखेगा. खास बात यह है कि आज के दिन चंद्रमा पेरिजी के 2 घंटे के भीतर ही पूरा-पूरा देखा जा सकेगा.
आज दिखने वाला फुलमून न सिर्फ साल 2016 में धरती का सबसे नजदीकी चंद्रमा होगा बल्कि 21वीं सदी का ही सबसे नजदीकी चंद्रमा होगा. भविष्य में ऐसा नजारा साल 2034 में 25 नवंबर को देखने को मिलेगा.