नई दिल्ली. पिछले कुछ दिनों से दिल्ली-एनसीआर का हर बाशिंदा जहरीली हवा में सांस ले रहा है. इस से बचाव के लिए लोग मुंह ढक कर या मास्क पहन कर घरों से बाहर निकल रहे हैं.
लेकिन देखने में आया है कि प्रदूषण से बचने के लिए अमूमन लोग हरे-नीले रंग के सर्जिकल मास्क का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो कि किसी को भी प्रदूषण से बचाने के लिए नहीं बना है. दरअसल जानकारी के आभाव में मेडिकल शॉप कीपर्स भी लोगों को इस बारे में सूचित नहीं कर रहे हैं.
इतना ही नहीं वर्तमान में बन आई आपात स्थिति में इन सर्जिकल मास्क्स की कीमत 10 रूपये से बढ़ा कर 20 रूपये तक कर दी गयी है. जबकि यह मास्क प्रदूषण से बचाव के लिए बने ही नहीं हैं. इस बारे में जानकारी देते हुए ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अजय लेखी बताते हैं कि जो मास्क लोग पहन रहे हैं, उनका इस्तेमाल एक सर्जन करता है ताकि सर्जन के मुंह से बैक्टीरिया आदि मरीज को प्रभावित ना करें. इस तरह के मास्क का इस्तेमाल प्रदूषण से बचने के लिए नहीं होता.’
प्रदूषण से बचाते हैं ये मास्क
बता दें कि प्रदूषण से बचाव के लिए एम-95 श्रेणी के मास्क का इस्तेमाल किया जाता है. इस श्रेणी के मास्क में फिल्टर लगा होता है जो कि प्रदूषित हवा को फेफड़ों तक नहीं पहुंचने देता.
यह मास्क सर्जिकल मास्क की तुलना में थोड़े महंगे आते हैं. प्रदूषण से बचने के सस्ते उपाय के तौर पर आप रुमाल को गीला कर कर के भी नाक को ढक सकते है. यह भी एक तरह के फिल्टर का ही काम करता है.
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