दाल के दामों में लगी आग, कहां गए अच्छे दिन?

दाल-रोटी खाओ, प्रभु के गुन गाओ ज्वार-भाटा फिल्म के इस गाने के अलावा दालों को लेकर चलने वाले जुमले मसलन दाल-रोटी खाकर दिन काट रहे या दाल तो गरीबों का खाना है आदि सालों से प्रचलित जरूर हैं लेकिन अब दालों की कीमतों ने इन सभी जुमलों को झुठला दिया है. गरीब तो ठीक मध्यम वर्ग की थाली में भी अब दाल मुश्किल हो गई है. 

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दाल के दामों में लगी आग, कहां गए अच्छे दिन?

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  • May 13, 2015 3:31 pm Asia/KolkataIST, Updated 10 years ago

नई दिल्ली. दाल-रोटी खाओ, प्रभु के गुण गाओ, ज्वार-भाटा फिल्म के इस गाने के अलावा दालों को लेकर चलने वाले जुमले मसलन दाल-रोटी खाकर दिन काट रहे या दाल तो गरीबों का खाना है आदि सालों से प्रचलित जरूर हैं लेकिन अब दालों की कीमतों ने इन सभी जुमलों को झुठला दिया है. गरीब तो ठीक मध्यम वर्ग की थाली में भी अब दाल मुश्किल हो गई है.

अरहर से लेकर सभी तरह की दालें 100 रुपए प्रतिकिलो से अधिक में बिक रहीं है. आम आदमी के लिए दाल का स्वाद उसकी बढ़ी हुई कीमतों ने किरकिरा कर दिया है. अप्रैल माह से शुरु हुआ दालों की कीमतों में उछाल का सिलसिला थमा नहीं है. कारण चाहे जो हो लेकिन दाल की बढ़ती हुई कीमतों के कारण अच्छे खासे लोगों को भी अपने मैन्यू में परिवर्तन करना पड़ा है. दालों के बढ़ते दामों पर देखिए इंडिया न्यूज़ की विशेष रिपोर्ट.

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