बेंगलुरू : चुनाव आयोग ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव का ऐलान कर दिया है जिसके बाद गर्मी में और गर्मी बढ़ गई है. मौजूदा समय में कर्नाटक में बीजेपी सत्ता में है और सीएम बसवराज बोम्मई हैं. बीजेपी के लिए कर्नाटक चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि दक्षिण भारत में सिर्फ कर्नाटक में ही बीजेपी सत्ता में है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस को यहां पर काफी समर्थन मिला था. राजनीतिक विश्लेषक बता रहा है कि कर्नाटक का चुनाव सेमीफाइनल है क्योंकि एक साल के बाद लोकसभा का चुनाव होने वाला है.
हर राज्यों की तरह कर्नाटक में भी अलग-अलग इलाकों में जनता का मूड अलग-अलग है. कर्नाटक के कुछ हिस्सों में बीजेपी मजबूत है तो कुछ जगह कांग्रेस तो कहीं पर जेडीएस ने अपना झंडा गाड़े हुए है.
इस इलाके को पहले मुंबई कर्नाटक के नाम से जाना जाता था. लेकिन मुंबई और कर्नाटक के बीच 2021 में सीमा विवाद हुआ था उसके बाद सीएम बसवराज बोम्मई ने मुंबई कर्नाटक का नाम बदलकर कित्तूर कर्नाटक कर दिया. कित्तूर कर्नाटक में लिंगायुत समुदाय का दबदबा रहा है जिस वजह से बीजेपी की यहां पर मजबूत पकड़ है. बीजेपी के वरिष्ठ और दिग्गज नेता बीएस येदियुरप्पा और मौजूदा सीएम बसवराज बोम्मई लिंगायत समुदाय से आते हैं. इस इलाके में सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा पानी है क्योंकि यहां पर पानी की बहुत बड़ी समस्या है.
2013 में जब येदियुरप्पा पार्टी से अलग हो गए थे तब कांग्रेस को फायदा मिला था. इस इलाके में विधानसभा की 28 सीटें है. 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 28 सीटों में से 14 सीटें और बीजेपी ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी वहीं जेडीएस के खाते में 4 सीटें गई थी. येदियुरप्पा जब पार्टी में लौटे तो फिर से यहां पर दबदबा बढ़ गया और जेडीएस का सफाया हो गया.
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का क्षेत्र है. इस पूरे क्षेत्र में कांग्रेस और बीजेपी का ही दबदबा रहा है वहीं जेडीएस का यहां पर कोई जनाधार नहीं है. ये क्षेत्र कांग्रेस के लिए जीतना इसलिए भी जरुरी है क्योंकि खरगे यहां से आते है. इस क्षेत्र में जीत दिलाने का सारा दारोमदार खरगे के ऊपर है. हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र में बंजारा, दलित , ओबीसी और लिंगायत समुदाय का तादाद ज्यादा है. ये समुदाय किसी भी पार्टी का खेल बिगाड़ने की ताकत रखते है. हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र में 40 सीटें आती है. 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बंपर जीत दर्ज करते हुए 22 सीटों पर कब्जा किया था. वहीं बीजेपी 7 और 6 सीटों पर जेडीएस ने जीत दर्ज की थी. इस क्षेत्र में रेड्डी बंधुओं का दबदबा रहा है.
इस क्षेत्र में पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा का दबदबा रहा है. इस क्षेत्र में लिंगायत समुदाय का काफी दबदबा रहा है. पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा शिवमोगा जिले से आते है इसी वजह से बीजेपी का शिवमोगा और चिकमंगलूर जिलों में दबदबा रहता है. 2013 में इस क्षेत्र में बीजेपी बहुत बुरी तरह हारी थी और 2018 में कांग्रेस का हार का स्वाद चखना पड़ा था. सेंट्रल कर्नाटक में 27 विधानसभा सीटें है. 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 21 सीटें और कांग्रेस ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जेडीएस सेंट्रल कर्नाटक में खाता भी नहीं खोल पाई थी.
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