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KARNATAKA ELECTION : टिकट को लेकर कांग्रेस में मचा घमासान, धरने पर बैठे नेता

बेंगलुरू : कर्नाटक विधानसभा चुनाव के मतदान की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है वैसे-वैसे नेताओं ने पाला बदलना शुरू कर दिया है. वहीं टिकट के लेकर कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है. बीते दिनों बेंगलुरू में कांग्रेस दफ्तर में टिकट को लेकर कांग्रेस नेताओं ने जमकर बवाल काटा और कई नेता धरने पर बैठ […]

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KARNATAKA ELECTION : टिकट को लेकर कांग्रेस में मचा घमासान, धरने पर बैठे नेता
  • April 5, 2023 6:21 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

बेंगलुरू : कर्नाटक विधानसभा चुनाव के मतदान की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है वैसे-वैसे नेताओं ने पाला बदलना शुरू कर दिया है. वहीं टिकट के लेकर कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है. बीते दिनों बेंगलुरू में कांग्रेस दफ्तर में टिकट को लेकर कांग्रेस नेताओं ने जमकर बवाल काटा और कई नेता धरने पर बैठ गए. कांग्रेस के हाईकमान का कहना है कि सर्वे के बाद ही उम्मीदवारों का नाम तय किए जाएंगे. कांग्रेस ने 120 से अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए है.

कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सलीम अहमद ने कहा कि नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच टिकटों की भारी मांग है. सलीम अहमद ने बताया कि हाईकमान का आदेश है कि बिना सर्वे के किसी को भी टिकट नहीं दिया जाएगा. हम सर्वे करा रहे है सर्वे की रिपोर्ट आ जाने के बाद ही बाकी सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा करेंगे.

कित्तूर कर्नाटक में लिंगायत समुदाय का दबदबा

इस इलाके को पहले मुंबई कर्नाटक के नाम से जाना जाता था. लेकिन मुंबई और कर्नाटक के बीच 2021 में सीमा विवाद हुआ था उसके बाद सीएम बसवराज बोम्मई ने मुंबई कर्नाटक का नाम बदलकर कित्तूर कर्नाटक कर दिया. कित्तूर कर्नाटक में लिंगायुत समुदाय का दबदबा रहा है जिस वजह से बीजेपी की यहां पर मजबूत पकड़ है. बीजेपी के वरिष्ठ और दिग्गज नेता बीएस येदियुरप्पा और मौजूदा सीएम बसवराज बोम्मई लिंगायत समुदाय से आते हैं. इस इलाके में सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा पानी है क्योंकि यहां पर पानी की बहुत बड़ी समस्या है.

2013 में जब येदियुरप्पा पार्टी से अलग हो गए थे तब कांग्रेस को फायदा मिला था. इस इलाके में विधानसभा की 28 सीटें है. 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 28 सीटों में से 14 सीटें और बीजेपी ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी वहीं जेडीएस के खाते में 4 सीटें गई थी. येदियुरप्पा जब पार्टी में लौटे तो फिर से यहां पर दबदबा बढ़ गया और जेडीएस का सफाया हो गया.

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