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karnataka elections : पर्दे के पीछे राजनीति बना रहे हैं कांग्रेस के ये नेता…

बेंगलुरु : विधानसभा चुनाव का प्रचार 8 मई को समाप्त हो जाएगा. नेताओं ने प्रचार के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. कांग्रेस दावा कर रही है कि हम 130 से अधिक सीटों पर जीत दर्ज करेंगे. मौजूदा समय में बीजेपी सत्ता में है और सीएम बसवराज बोम्मई है. कांग्रेस में सीएम पद के […]

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कांग्रेस के कद्दावर नेता सुरजेवाला
  • May 7, 2023 5:05 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

बेंगलुरु : विधानसभा चुनाव का प्रचार 8 मई को समाप्त हो जाएगा. नेताओं ने प्रचार के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. कांग्रेस दावा कर रही है कि हम 130 से अधिक सीटों पर जीत दर्ज करेंगे. मौजूदा समय में बीजेपी सत्ता में है और सीएम बसवराज बोम्मई है. कांग्रेस में सीएम पद के दो दावेदार बताए जा रहे है. पूर्व सीएम सिद्धारमैया और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार को सीएम पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है.

कांग्रेस ने 223 उतारे हैं उम्मीदवार

2018 के विधानसभा चुनाव कांग्रेस दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी लेकिन जेडीएस के सहयोग से सरकार बना ली थी. लेकिन 2019 में कांग्रेस और जेडीएस की सरकार गिर गई और येदियुरप्पा के नेतृत्व में बीजेपी ने सरकार बनाई. इस बार के चुनाव कांग्रेस ने पर्दे के पीछे कई नेताओं को लगाया है.

1. रणदीप सिंह सुरजेवाला- कांग्रेस के कद्दावर नेता रणदीप सुरजेवाला को राहुल गांधी को काफी करीबी माना जाता है. कर्नाटक में चुनाव से पहले काफी गुटबाजी चल रही थी. लेकिन सुरजेवाला ने पूर्व सीएम सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार को जोड़े रखा.

2. एमबी पाटील- लिंगायत सुमादय के बड़े नेता माने जाते है. 1991 के बाद से लिंगायत समुदाय के वोटर कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी के तरफ चले गए थे. लेकिन इस के चुनाव में बीजेपी छोड़कर आए जगदीश शेट्टार भी लिंगायत समुदाय से आते है. इस बार कांग्रेस को उम्मीद है कि लिंगायत समुदाय को उनका वोट मिलेगा.

10 मई को वोटिंग, 13 को नतीजे

गौरतलब है कि, कर्नाटक में 10 मई को विधानसभा चुनाव होगा. राज्य की सभी 224 विधानसभा सीटों पर एक ही दिन वोट डाले जाएंगे. इसके बाद 13 मई को चुनाव के नतीजे आएंगे. 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सबसे ज्यादा 104 सीटें जीती थी. वहीं कांग्रेस के खाते में 80 सीटे आई थी. जेडीएस ने 37 सीटों पर जीत दर्ज की थी. चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस और जेडीएस ने मिलकर सरकार बनाई थी, लेकिन 13 महीने में ही कुछ विधायकों के बागी होने के बाद सरकार गिर गई. जिसके बाद बागियों की मदद से बीजेपी ने राज्य में अपनी सरकार बनाई.

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