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Karnataka Election : कर्नाटक में लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय की पकड़, इतनी सीटों पर है प्रभाव

बेंगलुरू : कर्नाटक विधानसभा चुनाव का ऐलान हो गया है. यहां पर एक चरण में मतदान होगा. 224 सीटों पर 10 मार्च को मतदान होगा. कांग्रेस ने 120 से अधिक सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. वहीं बीजेपी ने अपने पत्ते नहीं खोले है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 10 अप्रैल के बाद बीजेपी […]

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Karnataka Election : कर्नाटक में लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय की पकड़, इतनी सीटों पर है प्रभाव
  • April 9, 2023 5:21 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

बेंगलुरू : कर्नाटक विधानसभा चुनाव का ऐलान हो गया है. यहां पर एक चरण में मतदान होगा. 224 सीटों पर 10 मार्च को मतदान होगा. कांग्रेस ने 120 से अधिक सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. वहीं बीजेपी ने अपने पत्ते नहीं खोले है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 10 अप्रैल के बाद बीजेपी कभी भी अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर सकती है.

लिंगायत समुदाय का दबदबा

कर्नाटक में वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय का काफी दबदबा है. लिंगायत समुदाय की आबादी कर्नाटक में लगभग 17 प्रतिशत और वोक्कालिगा समुदाय की 12 प्रतिशत है. ये दोनों समुदाय चुनाव में जिस तरफ चला जाता है कर्नाटक में सरकार उसी की बनती है. वोक्कालिगा समुदाय से अभी तक कर्नाटक में 7 सीएम रह चुके है. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने लिंगायत समुदाय के 43 उम्मीदवारों को टिकट दिया था जिसमें सिर्फ 17 उम्मीदवार ही जीत दर्ज कर पाए थे. वहीं बीजेपी ने 55 उम्मीदवारों को टिकट दिया था जिसमें 40 उम्मीदवार जीते थे.

कित्तूर कर्नाटक में लिंगायत समुदाय का दबदबा

इस इलाके को पहले मुंबई कर्नाटक के नाम से जाना जाता था. लेकिन मुंबई और कर्नाटक के बीच 2021 में सीमा विवाद हुआ था उसके बाद सीएम बसवराज बोम्मई ने मुंबई कर्नाटक का नाम बदलकर कित्तूर कर्नाटक कर दिया. कित्तूर कर्नाटक में लिंगायुत समुदाय का दबदबा रहा है जिस वजह से बीजेपी की यहां पर मजबूत पकड़ है. बीजेपी के वरिष्ठ और दिग्गज नेता बीएस येदियुरप्पा और मौजूदा सीएम बसवराज बोम्मई लिंगायत समुदाय से आते हैं. इस इलाके में सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा पानी है क्योंकि यहां पर पानी की बहुत बड़ी समस्या है.

2013 में जब येदियुरप्पा पार्टी से अलग हो गए थे तब कांग्रेस को फायदा मिला था. इस इलाके में विधानसभा की 28 सीटें है. 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 28 सीटों में से 14 सीटें और बीजेपी ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी वहीं जेडीएस के खाते में 4 सीटें गई थी. येदियुरप्पा जब पार्टी में लौटे तो फिर से यहां पर दबदबा बढ़ गया और जेडीएस का सफाया हो गया.

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