बेंगलुरू। पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने आज बीजेपी से कांग्रेस में गए नेता जगदीश शेट्टार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि मैं खून से लिखकर दे दूंगा, इस बार जगदीश शेट्टार हुबली-धारवाड़ विधानसभा सीट से चुनाव नहीं जीतेंगे। येदियुरप्पा के इस बयान पर अब जगदीश शेट्टार की प्रतिक्रिया सामने आ गई […]
बेंगलुरू। पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने आज बीजेपी से कांग्रेस में गए नेता जगदीश शेट्टार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि मैं खून से लिखकर दे दूंगा, इस बार जगदीश शेट्टार हुबली-धारवाड़ विधानसभा सीट से चुनाव नहीं जीतेंगे। येदियुरप्पा के इस बयान पर अब जगदीश शेट्टार की प्रतिक्रिया सामने आ गई है। शेट्टार ने कहा है कि वो येदियुरप्पा जी की आलोचना को आशीर्वाद के रूप में लेते हैं।
जगदीश शेट्टार ने कहा कि जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी हुबली आए थे तो उन्होंने मुझ पर निशाना साधा था। फिर कल केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी धारवाड़ में मुझपर ही हमला बोला। इसके बाद आज येदियुरप्पा जी ने भी मुझ पर ही निशाना साधा है। शेट्टार ने कहा कि इतने लोग बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए, लेकिन निशाना मुझे ही बनाया जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि येदियुरप्पा जी की आलोचना को मैं आशीर्वाद के तौर पर लेता हूं।
बता दें कि इससे पहले वरिष्ठ बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा हुबली-धारवाड़ विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार करने पहुंचे। यहां बीजेपी कार्यकर्ताओं की एक बैठक को संबोधित करते हुए येदियुरप्पा ने बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि मैं खून से लिखकर दूंगा कि हुबली से जगदीश शेट्टार चुनाव नहीं जीतेंगे। बता दें कि हुबली-धारवाड़ मध्य विधानसभा सीट से कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार को अपना उम्मीदवार बनाया है। शेट्टार कुछ दिनों पहले ही बीजेपी से टिकट नहीं मिलने के बाद कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
गौरतलब है कि इससे पहले मंगलवार को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इशारों-इशारों में भाजपा से कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार और पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सादवी पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि जनसंघ के दिनों से ही जो भी लोग पार्टी छोड़कर गए हैं, वो फले-फूले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी छोड़कर जाने वालों से पार्टी को कोई नुकसान नहीं है। जो भी नेता अपनी पार्टी छोड़ता है, वो विचारधारा के खिलाफ अलग एक लड़ाई लड़ता है, इससे निश्चित तौर पर हमेशा नुकसान दलबदलुओं की ही होता है।