बेंगलुरू : कर्नाटक विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है. विधानसभा का चुनाव एक चरण में होगा. 10 मई को मतदान होगा और 13 मई को नतीजे घोषित किए जाएंगे. जब से राजनीतिक दलों ने उम्मीदवारों की घोषणा की है तभी से पार्टियों के अंदर घमासान मचा हुआ है. बीजेपी के कद्दावर नेता जगदीश शेट्टार ने […]
बेंगलुरू : कर्नाटक विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है. विधानसभा का चुनाव एक चरण में होगा. 10 मई को मतदान होगा और 13 मई को नतीजे घोषित किए जाएंगे. जब से राजनीतिक दलों ने उम्मीदवारों की घोषणा की है तभी से पार्टियों के अंदर घमासान मचा हुआ है. बीजेपी के कद्दावर नेता जगदीश शेट्टार ने बीजेपी छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया है. जगदीश शेट्टार ने टिकट न मिलने की वजह से बीजेपी छोड़ दिया. यही गलती राजीव गांधी ने 33 साल पहले की थी.
बात 1990 की है जब देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे. राजीव गांधी ने कर्नाटक के सीएम और लिंगायत समुदाय के कद्दावर नेता वीरेंद्र पाटिल को सीएम पद से हटाया था जो कांग्रेस को काफी नुकसानदायक रहा. इसका फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिला था. उस फैसले के बाद लिंगायत समुदाय के वोटर कांग्रेस से छिटक गए.
1990 के दशक में राम मंदिर आंदोलन चरम पर था और देश के पीएम राजीव गांधी थे और कर्नाटक के सीएम वीरेंद्र पाटिल थे. गुजरात के सोमनाथ मंदिर से अयोध्या तक बीजेपी यात्रा निकाल रही थी. यह यात्रा बीजेपी के कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में निकाली जा रही थी. उसी समय 3 अक्टूबर 1990 को मुस्लिम इलाकों में हिंदू लोग शोभा यात्रा निकाल रहे थे तभी दंगा भड़क गया जिसमें कई लोग मारे गए थे. दंगा भड़कने की मुख्य वजह हिंदू समुदाय के लोगों ने मुस्लिम लड़की के साथ छेड़खानी कर दी जिसके बाद दोनों समुदाय के बीच जमकर खूनी खेल हुआ. उसी समय कर्नाटक के सीएम को हार्ट अटैक आ गया था और वे बेडरेस्ट पर थे. उसके बाद सारा आरोप कांग्रेस पर आना लगा था क्योंकि वहां पर कांग्रेस की सरकार थी. कांग्रेस के कद्दावर मुस्लिम नेता जाफर शरीफ कांग्रेस हाईकमान पर दवाब डालने लगे थे.
मामला काफी तूल पकड़ रहा था जिसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में राजीव गांधी कर्नाटक पहुंचे थे और वहीं पर सीएम वीरेंद्र पाटिल को सीएम पद से हटाने का फैसला किया था. उसी के बाद से लिंगायत समुदाय के लोग कांग्रेस का साथ छोड़ दिए थे और आज तक लिंगायत समुदाय का बड़ा तबका बीजेपी के साथ. वहीं जगदीश शेट्टार भी लिंगायत समुदाय से आते है और लगभग 30 सीटों पर इनका प्रभाव है. अगर इस बार लिंगायत समुदाय के वोटर कांग्रेस की तरफ चले गए तो बीजेपी को नुकसान हो सकता है.