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Karnataka Election : पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार ने बीजेपी को दिया झटका, थामा कांग्रेस का हाथ

बेंगलुरू : विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. पूर्व सीएम और बीजेपी के कद्दावर नेता जगदीश शेट्टार कांग्रेस में शामिल हो गए है. बीजेपी से जगदीश शेट्टार 6 बार के विधायक थे. शेट्टार को इस बार बीजेपी ने टिकट नहीं दिया था इसलिए वे नाराज चल रहे थे. बीजेपी के कई […]

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Karnataka Election : पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार ने बीजेपी को दिया झटका, थामा कांग्रेस का हाथ
  • April 17, 2023 7:32 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

बेंगलुरू : विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. पूर्व सीएम और बीजेपी के कद्दावर नेता जगदीश शेट्टार कांग्रेस में शामिल हो गए है. बीजेपी से जगदीश शेट्टार 6 बार के विधायक थे. शेट्टार को इस बार बीजेपी ने टिकट नहीं दिया था इसलिए वे नाराज चल रहे थे. बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा उनको मनाने की कोशिश की लेकिन वे नहीं माने और पार्टी से इस्तीफा दे दिए. कर्नाटक के पूर्व सीएम और बीजेपी के कद्दावर नेता जगदीश शेट्टार कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की मौजूदगी में कांग्रेस का हाथ थामा है. कांग्रेस में शामिल होने के बाद शेट्टार चुनाव के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला, पूर्व सीएम सिद्धारमैया और प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार से मुलाकात की.

लिंगायत समुदाय से आते हैं जगदीश शेट्टार

कांग्रेस में शामिल हुए जगदीश शेट्टार लिंगायत समुदाय से आते है. उनका लगभग 30 सीटों पर प्रभाव है. शेट्टार के कांग्रेस में शामिल होने से बीजेपी को नुकसान हो सकता है. सीएम बसवराज बोम्मई भी लिंगायत समुदाय से आते है. विधानसभा चुनाव दिलचस्प हो गया है क्योंकि दोनों पार्टियों में लिंगायत सुमदाय के कद्दावर नेता है.

कित्तूर कर्नाटक में लिंगायत समुदाय का दबदबा

इस इलाके को पहले मुंबई कर्नाटक के नाम से जाना जाता था. लेकिन मुंबई और कर्नाटक के बीच 2021 में सीमा विवाद हुआ था उसके बाद सीएम बसवराज बोम्मई ने मुंबई कर्नाटक का नाम बदलकर कित्तूर कर्नाटक कर दिया. कित्तूर कर्नाटक में लिंगायुत समुदाय का दबदबा रहा है जिस वजह से बीजेपी की यहां पर मजबूत पकड़ है. बीजेपी के वरिष्ठ और दिग्गज नेता बीएस येदियुरप्पा और मौजूदा सीएम बसवराज बोम्मई लिंगायत समुदाय से आते हैं. इस इलाके में सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा पानी है क्योंकि यहां पर पानी की बहुत बड़ी समस्या है.

2013 में जब येदियुरप्पा पार्टी से अलग हो गए थे तब कांग्रेस को फायदा मिला था. इस इलाके में विधानसभा की 28 सीटें है. 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 28 सीटों में से 14 सीटें और बीजेपी ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी वहीं जेडीएस के खाते में 4 सीटें गई थी. येदियुरप्पा जब पार्टी में लौटे तो फिर से यहां पर दबदबा बढ़ गया और जेडीएस का सफाया हो गया.

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