बेंगलुरु। चुनावी राज्य कर्नाटक में 224 विधानसभा सीटों के लिए मतदान की प्रकिया हो चुकी है. सूबे के सेंट्रल कर्नाटक रीजन की बात करें तो यहां पर कांग्रेस पार्टी बढ़त बनाई हुई है. एबीपी के एग्जिट पोल के अनुसार मध्य कर्नाटक में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी को नुकसान हुआ है, इस रीजन से कांग्रेस पार्टी वापसी […]
बेंगलुरु। चुनावी राज्य कर्नाटक में 224 विधानसभा सीटों के लिए मतदान की प्रकिया हो चुकी है. सूबे के सेंट्रल कर्नाटक रीजन की बात करें तो यहां पर कांग्रेस पार्टी बढ़त बनाई हुई है. एबीपी के एग्जिट पोल के अनुसार मध्य कर्नाटक में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी को नुकसान हुआ है, इस रीजन से कांग्रेस पार्टी वापसी करते हुए नजर आ रही है.
बता दें कि मध्य कर्नाटक में कुल 35 सीटें हैं, इसमें से भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में 12-16 सीट जा रही है, जबकि कांग्रेस को 18-22 सीटें प्राप्त हो रही हैं. इसके अलावा जनता दल सेक्युलर को 0-2 जबकि अन्य के खात में 0-1 सीट आ रही है.
224 सीटों पर मतदान की प्रकिया समाप्त हो गई है. मौजूदा समय दक्षिण के राज्यों में सिर्फ कर्नाटक में ही बीजेपी सत्ता में है. 224 सीटों के लिए 2615 उम्मीदवार मैदान में है. बीजेपी ने पूरे सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. वहीं कांग्रेस ने 223 उम्मीदवारों पर दावं चला है. इसी कड़ी में जनता दल सेक्यूलर यानी जेडीएस किंग मेकर की भूमिका में नजर आ सकती है. जेडीएस ने 207 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे. कुछ दिन पहले ही आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला था. उसने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में 209 सीटों से चुनाव लड़ा है. 2018 के विधानसभा चुनाव में भी जेडीएस किंग मेकर की भूमिका में थी. इस विधानसभा चुनाव में जेडीएस ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी.
बता दें कि चुनावी राज्य कर्नाटक में 224 विधानसभा सीटों के लिए 10 मई यानी आज मतगणना की पूरी हुई है. इस चुनाव के नतीजे आज से 72 घंटे बाद यानी 13 मई को सामने आएंगे. राजनीतिक विशेषज्ञ कर्नाटक चुनाव को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है. इसको लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपना दमखम झोंक दिया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद ये पहला मौका है, जिसमें किसी दक्षिण भारतीय राज्य में विधानसभा चुनाव हुआ है. यहां पर सत्ता पाने की मुख्य लड़ाई सत्ताधारी पार्टी भाजपा और मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के बीच है. वहीं क्षेत्रीय पार्टी जनता दल सेक्यूलर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है.