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Karnataka Elections : चुनाव से पहले दोनों पार्टियों में मचा घमासान, कांग्रेस और बीजेपी के हाईकमान परेशान

बेंगलुरू : कर्नाटक विधानसभा चुनाव का ऐलान हो गया है. यहां पर एक चरण में मतदान होगा. 224 सीटों पर 10 मार्च को मतदान होगा. कांग्रेस ने 120 से अधिक सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. वहीं बीजेपी ने अपने पत्ते नहीं खोले है. भाजपा दोबारा सत्ता में आने के लिए पूरा जोर […]

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Karnataka Elections : चुनाव से पहले दोनों पार्टियों में मचा घमासान, कांग्रेस और बीजेपी के हाईकमान परेशान
  • April 10, 2023 5:27 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

बेंगलुरू : कर्नाटक विधानसभा चुनाव का ऐलान हो गया है. यहां पर एक चरण में मतदान होगा. 224 सीटों पर 10 मार्च को मतदान होगा. कांग्रेस ने 120 से अधिक सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. वहीं बीजेपी ने अपने पत्ते नहीं खोले है. भाजपा दोबारा सत्ता में आने के लिए पूरा जोर लगा रही है. आप इस बात से अंदाजा लगा सकते है कि पीएम मोदी पिछले 2 महीनों में कर्नाटक का 8 बार दौरा कर चुके है. कर्नाटक दौरे के दौरान पीएम ने कई परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया है. लेकिन दोनों पार्टियों में नेताओं ने गुट बना लिया है जिसकी वजह से हाईकमान को परेशानी हो रही है.

पूर्व सीएम और कांग्रेस अध्यक्ष के बीच तनाव

कर्नाटक के पूर्व सीएम सिद्धारमैया और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार के बीच काफी दिनों से तनाव चल रहा है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच करीब 25 सीटों के उम्मीदवारों के चयन को लेकर लड़ाई चल रही है. इन दोनों नेताओं की लड़ाई की वजह से राहुल गांधी को कोलार में होने वाली रैली को रद्द करना पड़ा. सिद्धारमैया 2 सीट से चनाव लड़ने की इच्छा जता चुके है लेकिन पार्टी नेतृत्व ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सिद्धारमैया वरूणा सीट को लेकर आश्वस्त नहीं है इसलिए दो सीट पर चुनाव लड़ना चाहते है.

बीजेपी नेताओं में भी तनाव

कर्नाटक के पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा और सीटी रवि का अलग खेमा है. सीटी रवि को बीएल संतोष का खामा माना जाता है. बीएल संतोष को येदियुरप्पा को विरोधी माना जाता है. येदियुरप्पा 2013 में पार्टि से अलग हो गए थे जिसका खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा था. येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय से आते है और उनकी पकड़ कर्नाटक में अच्छी है. येदियुरप्पा इस बार शायद चुनाव नहीं लड़े और अपने बेटे के अपनी परंपरागत सीट पर लड़ाएं.

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