दक्षिण भारत में सत्ता में वापसी के बीजेपी के मंसूबों पर कर्नाटक में ग्रहण लग गया है. कर्नाटक विधानसभा की 224 में 222 सीटों की गिनती शुरू हुई तो सुबह में बीजेपी 120 सीटों की बढ़त तक गई जो बहुमत के 112 सीटे से 8 ज्यादा थीं लेकिन दोपहर में बीजेपी की इस बढ़त पर कांग्रेस और जेडीएस-बीएसपी की बढ़त से ग्रहण लग गया. सुबह तक बीजेपी की बहुमत वाली सरकार बनती दिख रही थी और शाम में ऐसा हुआ कि राज्यपाल के पास सरकार बनाने का दावा करने बीजेपी के बीएस येदियुरप्पा के अलावा जेडीएस के एचडी कुमारस्वामी भी पहुंच गए. कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन का ऐलान किया है. सरकार कौन बनाएगा या यूं कहें कि बहुमत साबित करने का पहला मौका किसे मिलेगा- राज्यपाल तय करेंगे.
बेंगलुरु. कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए 222 सीटों की मतगणना के दौरान सुबह बीजेपी का कमल खिल रहा था. खिला भी ऐसा था कि बहुमत के 112 सीट से 8 ज्यादा 120 सीटों की बढ़त तक चला गया लेकिन दोपहर का मुहुर्त शुरू हुआ और कमल मुरझाने लगा. समाचार लिखे जाने के वक्त बीजेपी 104 सीटों पर जीत और बढ़त के साथ बहुमत से 8 सीट पीछे छूट गई है. खैर, ताजा मामला ये है कि बीजेपी ने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है और उसके सीएम कैंडिडेट बीएस येदियुरप्पा ने राज्यपाल से मिलने के बाद मीडिया से कहा कि 100 परसेंट सरकार उनकी ही बनेगी. येदियुरप्पा ने बहुमत साबित करने के लिए 7 दिन का वक्त मांगा है.
दूसरी तरफ 78 सीटों पर जीत और बढ़त वाली कांग्रेस के समर्थन से 38 सीटों पर जीत या बढ़त ले चुकी जेडीएस-बीएसपी के सीएम कैंडिडेट एचडी कुमारस्वामी ने भी सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है. राज्यपाल से मुलाकात में कुमारस्वामी ने 116 विधायकों के समर्थन का दावा किया है जो बहुमत के आंकड़े से 4 आगे है. विधानसभा 224 की है लेकिन 2 सीटों पर चुनाव नहीं हुए हैं इसलिए जब सरकार बनेगी और सदन में बहुमत का फैसला होगा तो हिसाब 222 सीट से होगा और उस हिसाब से बहुमत के लिए 112 सीट ही चाहिए.
सुबह जब काउंटिंग शुरू हुई तो कुछ देर तक कांग्रेस आगे थी लेकिन फिर बीजेपी का जादू चला और वो धीरे-धीरे 120 सीटों पर आगे चलने लगी. फिर लगा कि सीन बिल्कुल साफ है और सरकार बनने में कोई विघ्न-बाधा नहीं है. खबर आई कि दोपहर बाद सीएम कैंडिडेट बीएस येदियुरप्पा दिल्ली जा रहे हैं और वहां शाम में बीजेपी मुख्यालय में पार्टी के संसदीय बोर्ड की मीटिंग में उनके सीएम बनने का रास्ता साफ हो जाएगा. खबर ये भी आई कि पीएम नरेंद्र मोदी बीजेपी दफ्तर में कार्यकर्ताओं के जश्न में शामिल होंगे. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारामन को तो मिठाई तक खिला दी. कई जगहों पर कार्यकर्ता पटाखे जला रहे थे, रंग-गुलाल खेल रहे थे. फिर दोपहर आया और रंग में भंग हो गया. बीजेपी की बढ़त घटती गई और कांग्रेस और जेडीएस-बीएसपी की बढ़त इतनी हो गई कि दोनों मिलकर सरकार बना लें. कांग्रेस ने जेडीएस को सरकार बनाने का न्योता भेजा जिसे जेडीएस ने स्वीकार भी कर लिया. कांग्रेस ने जेडीएस को सीएम का पद ऑफर किया है जो निर्वतमान सीएम सिद्धारमैया की जगह पर एचडी कुमारस्वामी को बिठा सकती है.
बहरहाल गेंद अब राज्यपाल के पाले में है और वो सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते बीजेपी के बीएस येदियुरप्पा को सरकार बनाने बुलाते हैं या सबसे बड़े चुनाव बाद ग्रुप के नेता एचडी कुमारस्वामी को, इस फैसले से पहले वो कानूनी राय, सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और संविधान के तमाम पहलुओं पर विचार करेंगे. येदियुरप्पा के यह कहने के बाद से बेंगलुरू में विधायकों की तोड़-फोड़ की आशंका बढ़ गई है कि कर्नाटक में सरकार 100 परसेंट उनकी ही बनेगी. बीजेपी को सरकार बनाने के लिए 8 विधायक और चाहिए. कांग्रेस, जेडीएस और बीएसपी के विधायकों को छोड़ दें तो मात्र 2 विधायक बचते हैं और वो बीजेपी के साथ हो जाएं तो भी उसे 6 और एमएलए का समर्थन चाहिए होगा.
जाहिर है कि बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता मिल भी जाए तो उसे सरकार बचाने के लिए इन 6 विधायकों का इंतजाम कांग्रेस या जेडीएस के विधायकों को तोड़कर ही करना होगा. दलबदल कानून के तहत विधायकों को अपने साथ लाने के लिए बीजेपी को कांग्रेस के कम से कम 26 या जेडीएस के कम से कम 13 विधायक पटाने होंगे. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्ली से जेपी नड्डा, प्रकाश जावड़ेकर और धर्मेंद्र प्रधान को बेंगलुरू भेजा है जहां अनंत कुमार पहले से मौजूद हैं. बीजेपी के स्टार मैनेजर बेंगलुरू में पार्टी के लिए जरूरी समर्थन जुटा पाएंगे या नहीं, ये तो समय के साथ पता चलेगा लेकिन जुटाने की कोशिशें हो रही हैं ये इससे साफ हो गया है कि कांग्रेस के 7 लिंगायत विधायक जेडीएस को समर्थन देने से खुली बगावत की बात कर रहे हैं. बीजेपी के लोग जेडीएस के भी 6-7 विधायकों के उनके संपर्क में होने का दावा कर रहे हैं. बेंगलुरू में अगले कुछ दिन खुला खेल फर्रूखाबादी होने वाला है जिसमें कांग्रेस और जेडीएस के सामने अपने विधायकों को एकजुट रखना सबसे बड़ा सवाल होगा.
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