कर्नाटक में बहुमत परीक्षण: बीजेपी धन से गई और धर्म-ईमान से भी

भारतीय जनता पार्टी ने कर्नाटक में सरकार बनाने की जिद या हड़बड़ी में अपने इमेज को दांव पर लगा दिया. खबरें आ रही हैं कि बहुमत का जुगाड़ नहीं होने के कारण अटल बिहारी वाजपेयी की तरह बीएस येदियुरप्पा 13 पेज का इमोशनल भाषण करेंगे और फिर कहेंगे कि उनके पास नंबर नहीं है इसलिए वो इस्तीफा देने राज्यपाल वजूभाई वाला के पास जा रहे हैं. ऐसा हुआ तो बीजेपी के लिए ये स्थिति- धन गया और धर्म ईमान भी- वाली होगी. कांग्रेस और जेडीएस को सरकार बनाने का मौका मिलेगा. एचडी कुमारस्वामी ना सिर्फ मुख्यमंत्री बनेंगे बल्कि बीजेपी की सत्ता की लालच को एक्सपोज करके सत्ता छीनने वाले हीरो बनेंगे.

Advertisement
कर्नाटक में बहुमत परीक्षण: बीजेपी धन से गई और धर्म-ईमान से भी

Aanchal Pandey

  • May 19, 2018 3:52 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. ‘कर्नाटक में बहुमत साबित करने से पहले ही बीजेपी के तीन दिन पुराने सीएम बीएस येदियुरप्पा इस्तीफा दे सकते हैं. येदियुरप्पा ने 13 पेज का इमोशनल भाषण तैयार कर लिया है.’ कर्नाटक में सत्ता और सियासत के नाटक के क्लाइमेक्स से ठीक पहले न्यूज़ चैनलों की स्क्रीन पर ये ब्रेकिंग न्यूज़ चमकी. इस खबर में दम हो ना हो, इससे इतना तो साफ हो ही गया कि कर्नाटक में बीजेपी का दांव उलटा पड़ गया है. येदियुरप्पा की ‘विधायक तोड़ो’ क्षमता पर भरोसा करके बीजेपी ने अपना नुकसान कर लिया है. उत्तर भारत की कहावत में कहें तो ‘बीजेपी धन से गई और धर्म से भी गई’.

गलत थी सरकार बनाने की बीजेपी की रणनीति – कर्नाटक में बहुमत बीजेपी के पास नहीं था, फिर भी बीजेपी ने सरकार बनाने का दावा पेश किया. इससे बीजेपी ने अपनी ही छवि को खराब किया. वो सत्ता की भूखी पार्टी नज़र आने लगी. बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता देकर राज्यपाल वजुभाई वाला ने भी कांग्रेस-जेडीएस को अपने ऊपर व्यक्तिगत हमला करने का मौका दे दिया. बीजेपी ने सरकार बनाई तो साफ हो गया था कि वो सिर्फ कांग्रेस और जेडीएस को तोड़कर ही सरकार बचा सकती है. दूरगामी राजनीति के लिए ये ठीक नहीं था क्योंकि बीजेपी के इस कदम से कांग्रेस-जेडीएस का बेमेल गठजोड़ मजबूत होता गया. इसका असर 2019 के लोकसभा चुनावों पर भी पड़ेगा, इस बात को तात्कालिक फायदे के चक्कर में बीजेपी ने नज़रअंदाज़ किया.

क्या होती सही राजनीति ?

बेहतर होता कि बीजेपी ने कांग्रेस-जेडीएस को सरकार बनाने दिया होता. बीजेपी के पास कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों को तोड़ने का रास्ता तब भी खुला रहता. इस काम में उसे आसानी भी होती क्योंकि तब शायद कांग्रेस और जेडीएस अपने विधायकों को बचाने के लिए इतने मुस्तैद नहीं रहते. बीजेपी के पास कांग्रेस-जेडीएस कैंप में सेंधमारी के लिए थोड़ा वक्त भी मिल जाता.

येदियुरप्पा को बहुमत दिलाने दल बदल कानून की दीवार लांघकर जेडीएस और कांग्रेस से कितने होंगे शहीद ?

सरकार को विश्वासमत तब भी हासिल करना ही पड़ता. विश्वासमत के दौरान बीजेपी खेल करके सरकार गिराती तो कांग्रेस-जेडीएस कहीं के नहीं रहते. ऐसी सूरत में जनता की सहानुभूति भी कांग्रेस-जेडीएस की बजाय बीजेपी के साथ होती. बीजेपी के इस दांव से कांग्रेस और जेडीएस की दोस्ती में भी गहरी दरार पड़ती, क्योंकि जिस पार्टी के विधायक दगाबाज़ी करते, दूसरी पार्टी के लोग इसे विश्वासघात के रूप में देखने लगते.

अब 2019 में बिगड़ेगा बीजेपी का खेल ?

अब बीजेपी ने कर्नाटक की सत्ता पाने के चक्कर में 2019 के लोकसभा चुनाव का खेल भी काफी हद तक बिगाड़ लिया है. कर्नाटक चुनाव के नतीजों से साफ है कि वहां किसी की लहर नहीं, सिर्फ जातीय समीकरणों का खेल चला. जेडीएस ने कांग्रेस के वोट काटे, जिसका फायदा बीजेपी को मिला था. अब कर्नाटक में सत्ता के लिए कांग्रेस-जेडीएस एक साथ आए हैं, तो ये दोस्ती कम से कम 2019 तक कायम रहती दिख रही है.

कर्नाटक में शनिवार को बहुमत टेस्ट का सुप्रीम कोर्ट का आदेश भाजपा के लिए बताशा तो कांग्रेस के लिए हवा मिठाई

कांग्रेस ने कुमारस्वामी को जिस तरह खुला समर्थन दिया है, उसकी कीमत वसूलने से पहले वो जेडीएस का दिल थोड़ा भी नहीं दुखाना चाहेगी. कांग्रेस इसकी कीमत 2019 के चुनाव में वसूलेगी. जेडीएस के साथ कांग्रेस अगर लोकसभा चुनाव में गठबंधन करेगी तो सीनियर पार्टनर कांग्रेस ही होगी. कांग्रेस-जेडीएस का साझा वोट बैंक 50 फीसदी से ज्यादा है. इतने बड़ वोट बैंक से निपटना नरेंद्र मोदी के जादू और अमित शाह की रणनीति के लिए भी मुश्किल होगा.

कर्नाटक में बहुमत से 8 सीट पीछे बीजेपी, सरकार बचाने के लिए येदियुरप्पा के पास तीन विकल्प

Tags

Advertisement