नई दिल्ली: देश में बड़ी संख्या में छात्राएं बीच में ही पढ़ाई छोड़ देती हैं। संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह बात सामने आई कि देश में माध्यमिक शिक्षा के दौरान स्कूल छोड़ने वालों की दर अधिक है। बच्चों के स्कूल छोड़ने के मुख्य कारणों में सामाजिक-आर्थिक कारण शामिल हैं। शिक्षा […]
नई दिल्ली: देश में बड़ी संख्या में छात्राएं बीच में ही पढ़ाई छोड़ देती हैं। संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह बात सामने आई कि देश में माध्यमिक शिक्षा के दौरान स्कूल छोड़ने वालों की दर अधिक है। बच्चों के स्कूल छोड़ने के मुख्य कारणों में सामाजिक-आर्थिक कारण शामिल हैं।
शिक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग (DOSEL) ने देश भर में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए समग्र शिक्षा योजना शुरू की है। इस योजना का उद्देश्य स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर लैंगिक और सामाजिक अंतर को कम करना है। समग्र शिक्षा के तहत लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई सुविधाएं भी दी जा रही हैं। इनमें निःशुल्क किताबें, ड्रेस और लिंग के आधार पर अलग शौचालय,छात्रवृत्ति और आत्मरक्षा प्रशिक्षण शामिल हैं।
मंत्री ने आगे कहा कि कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों में स्थित हैं, जहां ग्रामीण महिला साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत से कम है। ये विद्यालय अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) जैसे वंचित समूहों की लड़कियों के लिए कक्षा VI से XII तक के आवासीय विद्यालय हैं। इन विद्यालयों का उद्देश्य लड़कियों के लिए स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर ड्रॉप-आउट दर को कम करना है।
सवाल का जवाब देते हुए जयंत चौधरी ने यह भी बताया है कि स्कूल छोड़ने का मुख्य कारण सामाजिक और आर्थिक स्थिति है। परिवार की आय में मदद, घर के कामों में भागीदारी, पढ़ाई में रुचि न होना, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और माता-पिता की उदासीनता स्कूल छोड़ने के कुछ प्रमुख कारण हैं।
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