Uttarakhand Ayurveda University Fee Hike Case: उत्तराखंड में स्टूडेंट्स आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों में बढ़ी हुई फीस वापस लेने के लिए 1 अक्टूबर से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन राज्य सरकार और कॉलेज प्रसाशन इस पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है. जबकि उत्तराखंड हाईकोर्ट बढ़ी हुई फीस का शासनादेश निरस्त करने का आदेश जुलाई में ही दे चुका है.
नई दिल्ली. उत्तराखंड के आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों मे मनमानी का दौर जारी है. आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों में फीस वृद्धि होने की वजह से छात्र परेशान हैं. फीस वृद्धि को लेकर छात्र पिछले 20 दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन राज्य सरकार और कॉलेज प्रशासन ने अभी तक बढ़ी हुई फीस का शासनादेशन वापस नहीं लिया है. उत्तराखंड आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स की मानें तो कॉलेज प्रशासन उनसे बढ़ी हुई फीस फर्स्ट ईयर से मांग रहे हैं. यानी कि अगर कोई स्टूडेंट्स थर्ड ईयर में है तो उसको पहले और दूसरे वर्ष की फीस जोड़कर देना पड़ेगा. इसके अलावा छात्रों का आरोप यह भी है कि कॉलेज प्रसाशन उनसे जितने वर्ष का कोर्स है उससे ज्यादा फीस वसूल रहा है. एक छात्र की मानें तो अगर कोर्स 4 वर्ष 6 महीने (चाढ़े चार साल) है तो उससे फीस 5 वर्ष की ली जा रही है. अगर छात्र इसकी शिकायत कॉलेज प्रसाशन से करते हैं तो उन्हें अंजाम बुरा होने और परीक्षा से वहिष्कृत करने की धमकी दी जाती है.
आपको बता दे कि उत्तराखंड आयुर्वेदिक कालेज संगठनों ने फीस 2015 में बढ़ा दिया था. जिसके बाद छात्रों ने कॉलेज प्रसाशन के खिलाफ उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की और हाईकोर्ट ने 2 जुलाई 2019 को फैसला छात्रों के पक्ष में दिया है. मामले की सुनवाई करते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फीस वृ्द्धि का शासनादेश रद्द करने को कहा, लेकिन मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई. इसके बाद कॉलेज प्रसाशन की हिला-हवाली देखकर हाईकोर्ट ने अवमानना का नोटिस भी भेजा फिर भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.
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सवाल उठता है कि आखिरी उत्तराखंड के आयुर्वेदिक मेडिकल हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना क्यों कर रहे हैं. ऐसे सवाल उठना भी लाजमी है. क्योंकि आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज बिना सरकार की सह पाये ऐसा नहीं कर सकती है. उत्तराखंड में निजी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों की बात करें तो राज्य में कुल 16 मेडिकल कॉलेज हैं. इन में से 13 मेडिकल कॉलेज निजी क्षेत्र की और सिर्फ 2 मेडिकल कॉलेज ही सरकार हैं.
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