सहारनपुर. जो स्टूडेंट्स डॉक्टर बनकर दूसरों का जीवन बचा सकते हैं। आज खुद इच्छा मृत्यु की मांग कर रहे हैं। ये हैरतअंगेज मामला सामने आया है उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले से, जहां ग्लोकल मेडिकल कॉलेज Glocal Medical College के 12 छात्रों ने पत्र लिखकर राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग की है। दरअसल ये […]
सहारनपुर. जो स्टूडेंट्स डॉक्टर बनकर दूसरों का जीवन बचा सकते हैं। आज खुद इच्छा मृत्यु की मांग कर रहे हैं। ये हैरतअंगेज मामला सामने आया है उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले से, जहां ग्लोकल मेडिकल कॉलेज Glocal Medical College के 12 छात्रों ने पत्र लिखकर राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग की है। दरअसल ये सभी छात्र ग्लोकल यूनिवर्सिटी की मान्यता रद्द किए जाने से अपने भविष्य को लेकर चिंतित है। सच्चाई बताने के बजाए कॉलेज प्रशासन भी इन्हें गुमराह कर लगातार फीस वसूलता रहा। इसके चलते छात्र ऐसा कदम उठाने को मजबूर हैं।
ग्लोकल मेडिकल कॉलेज के 12 छात्रों ने सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपकर अपना दर्द बयां किया है। ज्ञापन में बताया गया है कि नीट क्वालीफाई करने के बाद वर्ष 2016 में 66 छात्रों ने सहारनपुर के ग्लोकल मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस MBBS में एडमिशन लिया था। इसके लिए उनकी काउंसिलिंग भी की गई थी। तीन महीने बाद ही एमसीआई ने उनके कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी। लेकिन कॉलेज प्रशासन ने इसकी सूचना छात्रों को देने के बजाए लगातार पढ़ाई जारी रखी। इस दौरान 30 से 35 लाख रुपये प्रत्येक छात्र के खर्च हुए। सच्चाई पता चलने के बाद सभी छात्र न्यायालय में गए, लेकिन इंसाफ नहीं मिला। परेशान होकर अब वे राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग कर रहे हैं।
मेडीकल कॉलेज को मान्यता नहीं मिलने से 66 में से 12 छात्रों ने इच्छा मृत्यु मांगी है। जिनमें शिवम शर्मा, विभोर, शिवानी राणा, रिजवान, सदफ, सामिया, विग्नेश, राहुल राज, एश्वर्या, अरविंद राज आदि छात्र शामिल हैं। बता दें कि ग्लोकल यूनिवर्सिटी के संस्थापक खनन कारोबारी मोहम्मद इकबाल हैं जोकि बसपा सरकार में एमएलसी रहे हैं।
ग्लोकल यूनिवसिर्टी के वाइस चांसलर अकील अहमद का कहना है कि यूनिवर्सिटी आज भी छात्रों के साथ है। हालांकि, इन्हीं छात्रों की शिकायत पर मेडिकल कॉलेज की एनओसी निरस्त की गई है। बाद में अदालत में रिट पिटीशन भी दायर की गई। वह भी निरस्त हो चुकी है।