भोपाल : कई बार हम कुछ ऐसे प्रोफेशन को देखते हैं जिनकी पढ़ाई हिंदी में कल्पना कर पाना भी हमारे लिए मुश्किल है. इसके पीछे वजह है कि उन्हें कभी हिंदी में पढ़ाया ही नहीं गया. ऐसा ही एक प्रोफेशन है डॉक्टरी का यानी MBBS जिसे कभी हिंदी जैसी भाषा में नहीं पढ़ाया गया. लेकिन […]
भोपाल : कई बार हम कुछ ऐसे प्रोफेशन को देखते हैं जिनकी पढ़ाई हिंदी में कल्पना कर पाना भी हमारे लिए मुश्किल है. इसके पीछे वजह है कि उन्हें कभी हिंदी में पढ़ाया ही नहीं गया. ऐसा ही एक प्रोफेशन है डॉक्टरी का यानी MBBS जिसे कभी हिंदी जैसी भाषा में नहीं पढ़ाया गया. लेकिन अब ऐसा होने जा रहा है. इसकी शुरुआत भारत के मध्य में बसे मध्यप्रदेश से होने वाली है. एमपी में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स के लिए राज्य सरकार ने नई कवायद शुरू की है. इस बात की कवायद साल के सितंबर महीने से शुरू होगी.
इस संबंध में राज्य के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने जानकारी दी है. एक अधिकारी ने बताया कि नए अकादमिक सत्र में देश की प्रमुख हिंदी को भी शामिल किया जाएगा. निजी और सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों के एमबीबीएस प्रथम वर्ष के कुल 4,000 विद्यार्थियों को यह विकल्प दिया जाएगा. संबंधित समिति के सदस्य और फिजियोलॉजी के पूर्व सह प्राध्यापक डॉ. मनोहर भंडारी की मानें तो राज्य के चिकित्सा महाविद्यालयों के MBBS पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वाले 60 से 70 प्रतिशत विद्यार्थी हिन्दी माध्यम से ही होते हैं जिन्हें अंग्रेजी की किताबों के कारण सबसे ज्यादा समस्या प्रथम वर्ष में होती है.
हिंदी को भी शामिल करने के संबंध में चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारी द्वारा मिली जानकारी एक अनुसार राज्य सरकार एमबीबीएस प्रथम वर्ष के लिए अंग्रेजी के तीन स्थापित लेखकों की पहले से चल रहीं किताबों का अनुवाद भी कर रही है. इन किताबों को हिन्दी में ढालने का काम पूरा करने की ओर बढ़ रहा है. ये पुस्तकें नए सत्र में विद्यार्थियों को दी जाएंगी. इस दौरान पूरा ध्यान रखा जाएगा कि मेडिकल टर्म में इस्तेमाल की जाने वाले अंग्रेजी शब्दों के मूल रूप को ना बदला जाए. ऐसे में पढ़ाई-लिखाई और पेशेवर जगत में मूलतः अंग्रेजी में ही इस्तेमाल होने वाली तकनीकी शब्दावली को नहीं बदला जाएगा.
मिली जानकारी के अनुसार निजी प्रकाशकों की ये किताबें शरीर रचना विज्ञान (एनाटॉमी), शरीर क्रिया विज्ञान (फिजियोलॉजी) और जैव रसायन विज्ञान (बायोकेमिस्ट्री) विषयों पर आधारित हैं. 55 विशेषज्ञ शिक्षकों की मदद से जिन्हें बड़े पैमाने पर छापकर विद्यार्थियों तक पहुंचाने से पहले अलग-अलग स्तरों पर जांचा जा रहा है. राज्य में मेडिकल की पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम में ही जारी रहने वाली है इस बार में शिक्षकों से अपील की गई है कि वे खासकर एमबीबीएस पाठ्यक्रम की कक्षाओं में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा दें.
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