नई दिल्ली। इस समय विदेशी छात्रों की बढ़ती संख्या के कारण कनाडा, हाउसिंग अफोर्डिबिलिटी से जूझ रहा है। ऐसे में कनाडा ने देश में विदेशी छात्रों (Study in Abroad) की संख्या में कटौती करने का निर्णय लिया है। यही नहीं इमिग्रेशन मंत्री मार्क मिलर इस बारे में अहम घोषणा भी कर चुके हैं। फिलहाल, ये […]
नई दिल्ली। इस समय विदेशी छात्रों की बढ़ती संख्या के कारण कनाडा, हाउसिंग अफोर्डिबिलिटी से जूझ रहा है। ऐसे में कनाडा ने देश में विदेशी छात्रों (Study in Abroad) की संख्या में कटौती करने का निर्णय लिया है। यही नहीं इमिग्रेशन मंत्री मार्क मिलर इस बारे में अहम घोषणा भी कर चुके हैं। फिलहाल, ये कब से लागू किया जाएगा इसकी तारीख सामने नहीं आई है।
दरअसल, कनाडा के आधिकारिक आंकड़ों की मानें तो, पिछले एक दशक के दौरान कनाडा में स्टडी परमिट धारकों की संख्या तीन गुना बढ़ चुकी है। गौरतलब है कि 2013 के दौरान तीन लाख छात्रों को स्टडी परमिट (Study in Abroad) दिया गया था, जबकि 2023 में यह आंकड़ा नौ लाख के पार पहुंच गया। अब ऐसे में गौर करने वाली बात यह है कि 2022 के दौरान कनाडा में पढ़ाई के लिए आवेदन करने वाले छात्रों में 40 फीसदी भारतीय छात्र शामिल हुए थे, यही कारण है कि वो कनाडा में विदेशी छात्रों का सबसे बड़ा ग्रुप बन चुके हैं।
वहीं इस संबंध में कनाडा के इमिग्रेशन मंत्री ने अपने बयान में पढ़ाई के लिए कनाडा आने वाले विदेशी स्टूडेंट्स (Study in Abroad) के लिए कई नए नियम लागू करने की बात कही है। जिनमें फंड से संबंधित डिटेल्स के बारे में भी बताना होगा। बता दें कि अभी तक कनाडा में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों को पहले साल की ट्यूशन फीस और ट्रैवल एक्सपेंस के अलावा 10 हजार डॉलर की अतिरिक्त धनराशि के बारे में जानकारी देनी पड़ती थी। कैनेडियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (सीबीसी) के अनुसार, अब इस रकम को 10 हजार डॉलर से बढ़ाकर 20,635 डॉलर कर दिया गया है। जिसे कनाडा में रहने के लिए हर साल जरूरी खर्च के हिसाब से तय किया गया है।
हालांकि, आपको ये जानकर ताज्जुब होगा कि कनाडा में पढ़ने की चाह (Study in Abroad) रखने वाले भारतीय छात्रों के सामने कई तरह की चुनौतियां हैं। टोरंटो स्टार की एक रिपोर्ट की मानें तो, 2023 की दूसरी छमाही के दौरान भारत की ओर से मिलने वाले करीब 40 फीसदी स्टूडेंट वीजा एप्लिकेशंस को रिजेक्ट कर दिया गया। यह सभी देशों के बीच रिजेक्शन का सबसे बड़ा आंकड़ा बताया जा रहा है। इन सभी आवेदनों में रिजेक्शन की वजह अनस्पेसिफाइड या अन्य बताई गई। यही नहीं, कुछ वीजा एप्लिकेशन तो फाइनेंशल क्राइटेरिया के हिसाब से नहीं होने के कारण भी रिजेक्ट कर दिए गए थे।
ऐसे में जो सबसे बड़ा सवाल उठता है वो ये कि अगर कनाडा में नहीं तो, भारतीय छात्रों के पास क्या विकल्प बचता है? एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारतीय छात्रों को अपना बजट को देखते हुए अब कनाडा, अमेरिका, यूके और ऑस्ट्रेलिया (Study in Abroad) की जगह दूसरे ऑप्शन भी देखने चाहिए। इस दौरान विशेषज्ञों ने आयरलैंड, साउथ कोरिया और ताईवान को भी विकल्प के रूप में देखने की सलाह दी। जानकारी के अनुसार, आयरलैंड की यूनिवर्सिटीज वैश्विक रूप से टॉप-3 में शामिल हैं। वहीं दूसरी तरफ, साउथ कोरिया ने विदेशी छात्रों को बढ़ावा देने के लिए प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसका मकसद 2027 तक तीन लाख विदेशी छात्रों को पढ़ाई के लिए साउथ कोरिया बुलाने का लक्ष्य तय किया गया है। इसके अलावा, ताईवान भी 2030 तक 3.20 लाख विदेशी छात्रों को अपने देश में बुलाने का लक्ष्य बना चुका है।
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