जयपुर: डॉक्टर-इंजीनियर बनाने वाले हब कोटा में युवाओं की आत्महत्या का सिलसिला थम नहीं रहा है। आखिर क्या वजह है कि माता पिता अपने बच्चों को मौत के मुंह में धकेल रहे हैं। आज सबसे बड़ा सवाल है कि कब कोटा में सुसाइड कब रुकेगा । छह महीने में 14 छात्रों ने सुसाइड किया है। […]
कोचिंग का शहर कोटा इन दिनों युवाओं के आत्महत्या को लेकर चर्चे में है। अधिकतर छात्र अपने सुसाइड नोट में अपने माता-पिता से माफी मांगते हैं… मैं आपके उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया. विचार करने वाली बात है की बच्चे आखिर क्यों हार मन लेते हैं? बता दें की ये हताशा बढ़ते कॉम्पिटिशन के माहौल, घर से बाहर रहने, अकेलापन से भी उभरती है। प्रतियोगी परीक्षाओं के जरिए समाज में सफल बनने का दबाव ही इन मासूमों के जान जाने का कारण है। आत्महत्या के चाहें जो कारण हों लेकिन ये सिलसिला खत्म होना चाहिए। कोटा जिला प्रशासन सुसाइड केस को लेकर एक्शन मोड में दिख रहा है। वहां के जिला मजिस्ट्रेट ने आदेश जारी कर कोचिंग करने वाले स्टूडेंट के साथ-साथ माता-पिता की भी काउंसलिंग की बात कही है।
छात्रों को अल्फा-न्यूमरिक यूनिक आईडी देंगे
कोटा जिला कलक्टर डॉ. रविन्द्र गोस्वामी ने कहा कि कोचिंग संस्थान 15 जुलाई के बाद कोचिंग संस्थानों में एडमिशन के समय ही छात्रों को यूनिक आईडी देंगे, जो अल्फा-न्यूमरिक होगा । इस आईडी से कोचिंग स्टूडेंट की एक विशेष पहचान रहेगी। कोचिंग क्लासेज में प्रतिदिन हाजिरी का सिस्टम बनाया जाए और किसी बच्चे के 3 दिन तक लगातार क्लास में नहीं आने पर संस्थान कारण का पता लगाए. और किसी तरह की आशंका होने पर जिला प्रशासन और पुलिस तक सूचना दी जाए ताकि समय रहते आवशयक कदम उठाए जा सके।
अगर आप एक छात्र हैं और ये आर्टिकल पढ़ रहे हैं तो आप से हम यही कहना चाहते हैं कि परीक्षाओं की तैयारी करें और जो भी परिस्थितियां हैं उससे डटकर मुकाबला करें। परीक्षा में पास-फेल आपके जीवन का पड़ाव है। सिर्फ कॉम्पिटिशन पास कर लेना ही सब कुछ नहीं होता है। कहते है न कि जीवन में पूर्ण विराम कभी नहीं आता. यदि फेल भी होते हैं तो वहीं से नया रास्ता मिलता है.
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