शिक्षा मंत्रालय ने 5वीं और 8वीं कक्षा के छात्रों को लेकर नियमों में बदलाव किया है। अब 5वीं और 8वीं में फेल होने वाले छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा। हालांकि फेल होने के बाद छात्रों को 2 महीने के अंदर दोबारा परीक्षा देने का मौका मिलेगा।
नई दिल्ली : भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने देश की शिक्षा नीति में बड़ा बदलाव किया है। शिक्षा मंत्रालय ने 5वीं और 8वीं कक्षा के छात्रों को लेकर नियमों में बदलाव किया है। अब 5वीं और 8वीं में फेल होने वाले छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा। हालांकि फेल होने के बाद छात्रों को 2 महीने के अंदर दोबारा परीक्षा देने का मौका मिलेगा।
अगर वे इसमें पास हो जाते हैं तो वे अगली कक्षा में पढ़ सकेंगे। नहीं तो उन्हें फिर से इसी कक्षा में पढ़ना होगा। आपको बता दें कि यह प्रावधान 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में है लेकिन अब इसे 5वीं और 8वीं के लिए भी लागू कर दिया गया है। आइए आपको पूरी खबर बताते हैं।
शिक्षा मंत्रालय ने स्कूलों के लिए बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (RTE Act 2009) में बदलाव किया है। अब नए नियमों के तहत 5वीं और 8वीं कक्षा में फेल होने वाले छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट होने से रोका जा सकेगा। आपको बता दें कि इससे पहले RTE Act 2009 के तहत राज्यों को 5वीं और 8वीं कक्षा की नियमित परीक्षा में फेल होने वाले छात्रों को फेल करने की अनुमति नहीं थी।
अब ऐसे में कई छात्रों के मन में ये सवाल आ सकता है कि क्या रेगुलर परीक्षा में फेल होने वाले छात्रों को दूसरा मौका मिलेगा. तो आपको बता दें कि 5वीं और 8वीं की रेगुलर परीक्षा में फेल होने वाले छात्रों को एक और मौका दिया जाएगा. जब कोई छात्र साल के अंत में रेगुलर परीक्षा में फेल हो जाता है तो 2 महीने बाद उसे एक और मौका दिया जाएगा. अगर वो वहां भी पास नहीं हो पाता है तो उसे 5वीं और 8वीं में दोबारा पढ़ाई करने पर मजबूर होना पड़ेगा.
इससे पहले बच्चों को राइट टू चिल्ड्रेन टू फ्री एंड कंप्लसरी एजुकेशन एक्ट 2009 के तहत नो-डिटेंशन पॉलिसी लागू थी। जिसके तहत कक्षा 1 से कक्षा 8 तक किसी भी छात्र को फेल नहीं किया जा सकता था। छात्रों को उनके रिजल्ट के आधार पर उसी कक्षा में रखने के बजाय उन्हें हर साल अगली कक्षा में प्रमोट करना अनिवार्य था। साल 2019 में संसद ने आरटीई एक्ट में संशोधन पारित किया। जिसके बाद नो-डिटेंशन पॉलिसी पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई।
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