Students Suffering Back And Neck Pain: स्कूल बैग के लगातार बढ़ते बोझ ने बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालना शुरू कर दिया. हाल ही के दिनों में दिल्ली एनसीआर स्थित गुड़गांव में स्कूल बैग की वजह बच्चों के गर्दन और पीठ में दर्द उत्पन्न होने के कई मामले सामने आए हैं. पहला मामला गुड़गांव एक प्राइवेट स्कूल में कक्षा 7 मे पढ़ने वाली अर्पिता का है. स्कूल बैग के बढ़ते बोझ का असर सिर्फ अर्पिता पर नहीं बल्कि कई सारे बच्चों पर पड़ रहा है. स्कूलों में पढ़ने वाले कई बच्चे पीठ और गर्दन से परेशान हैं.
नई दिल्ली. Students Suffering Back And Neck Pain: स्कूल बैग के लगातार बढ़ते बोझ ने बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालना शुरू कर दिया. हाल ही के दिनों में दिल्ली एनसीआर स्थित गुड़गांव में स्कूल बैग की वजह बच्चों के गर्दन और पीठ में दर्द उत्पन्न होने के कई मामले सामने आए हैं. पहला मामला गुड़गांव एक प्राइवेट स्कूल में कक्षा 7 मे पढ़ने वाली अर्पिता का है. अर्पिता के पीठ और गर्दन में पिछले एक वर्ष से भारी दर्द हो रहा है. पीठ और गर्दन में बढ़ते दर्द को देख अर्पिता के माता पिता ने डॉक्टरों से मुलाकात की. अर्पिता को एक्स रे, एमआरआई जैसी कई जांचों से गुजरना पड़ा लेकिन पीठ और गर्दन में दर्द की समस्या जस की तस बनी रही. बीते दो महीने से अर्पिता की फिजियोथेरेपी चल रही है.
बता दें कि स्कूल बैग के बढ़ते बोझ का असर सिर्फ अर्पिता पर नहीं बल्कि कई सारे बच्चों पर पड़ रहा है. स्कूलों में पढ़ने वाले कई बच्चे पीठ और गर्दन से परेशान हैं. भारी बैग के चलते 5 से 15 वर्ष की उम्र वाले छात्रों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. शुरु में दर्द का कारण खराब मुद्रा या मांसपेशियों की कमजोरी माना जाता है लेकिन असली कारण भारी स्कूल बैग है. भारी स्कूल बैग बच्चों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल रहा है.
सीनियर कंसल्टेंट ऑर्थोपेडिक सर्जन हिमांशु त्यागी ने बताया कि स्कूल जाने वाले लगभग 40 फीसदी छात्र-छात्राएं पीठ और गर्दन में दर्द की समस्या से जूझ रहे हैं. डॉक्टर ने बताया कि भारी स्कूल बैग गर्दन की मांशपेशियों में तनाव को बढ़ाता है. गर्दन के दर्द के कारण रीढ़ की हड्डी के पीछे तकलीफ होती है. गर्दन और पीठ का यह दर्द पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों के खेल में प्रदर्शन को भी खराब कर सकता है. बच्चे का संपूर्ण विकास भी इससे प्रभावित हो सकता है और मनोबल में कमी आ सकती है.
बता दें कि बच्चों की उम्र के आधार पर स्कूल बैग के वजन को निर्धारित करने को लेकर देश की कुछ राज्य सरकारों ने नियम भी बनाए हैं. ये नियम विभिन्न शोध पर आधारित है. जिनमें बताया गया है कि भारी स्कूल बैग की वजह से बच्चे की रीढ़ की हड्डी पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. यहां तक छात्र स्थायी विकलांगता का भी शिकार हो सकते हैं. इसी बात का ख्याल रखते हुए ओडिशा और दिल्ली राज्य सरकार की तरफ से कुछ शानदार कदम उठाए गए हैं. इन राज्यों की सरकारों ने स्कूल बैग के वजन को बच्चे के शरीर के 10 फीसदी तक सीमित करने का सख्त निर्देश जारी किया है. साथ ही स्कूल के पदाधिकारियों को टाइम टेबल बनाने का निर्देश दिया है.
दिल्ली सरकार द्वारा निर्धारित नियमों पर नजर डालें तो कक्षा 1 से लेकर 2 तक में पढ़ने वाले बच्चों का स्कूल बैग 1.5 किलोग्राम होना चाहिए. कक्षा 3 से लेकर 4 में पढ़ने वाले बच्चों के स्कूल बैग का वजन 3-5 किलोग्राम के बीच होना चाहिए. कक्षा 6 से लेकर 7 तक में पढ़ने वाले बच्चों के स्कूल बैग का वजन 4 किलोग्राम होना चाहिए. कक्षा 8 से लेकर 9 तक में पढ़ने वाले बच्चों के स्कूल का बैग का वजन 4.5 किलोग्राम से ज्यादा होना चाहिए. वहीं 10वीं से ऊपर कक्षा में पढ़ने वाले छात्रों के स्कूल बैग का वजन 5 किलोग्राम होना चाहिए.
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