नई दिल्ली: शिक्षा के क्षेत्र में एससी, एसटी और ओबीसी के प्रतिनिधित्व पर दशकों से बहस चल रही है। अब पिछले कुछ महीनों में यह बहस और तेज हो गई है। ऐसे में आईआईटी-भुवनेश्वर से आ रही खबर इस बहस को और तेज कर सकती है। दरअसल, एक आरटीआई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि […]
नई दिल्ली: शिक्षा के क्षेत्र में एससी, एसटी और ओबीसी के प्रतिनिधित्व पर दशकों से बहस चल रही है। अब पिछले कुछ महीनों में यह बहस और तेज हो गई है। ऐसे में आईआईटी-भुवनेश्वर से आ रही खबर इस बहस को और तेज कर सकती है। दरअसल, एक आरटीआई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि आईआईटी-भुवनेश्वर में 80 फीसदी फैकल्टी मेंबर जनरल कैटगरी से हैं। आइए जानते है पूरा मामला ।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ऑल इंडिया ओबीसी स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष किरण कुमार गौण ने एक आरटीआई दायर की थी, जिसमें यह खुलासा हुआ। दरअसल, आरटीआई का जवाब देते हुए आईआईटी-भुवनेश्वर के अधिकारियों ने बताया कि कॉलेज में कुल 300 प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के पद हैं। इनमें से 213 पदों पर लोग काम कर रहे हैं। जबकि, 95 पद अभी भी खाली हैं। अधिकारियों ने बताया कि इन 213 प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर में से 171 कर्मचारी जनरल कैटगरी से हैं।
इसी रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि इन 213 प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर में से 28 ओबीसी वर्ग से हैं। इसके अलावा एक फैकल्टी सदस्य एसटी वर्ग से और 12 फैकल्टी सदस्य एससी वर्ग से हैं। वहीं एक फैकल्टी सदस्य ईडब्ल्यूएस कोटे से है।
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