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School Reopen: जानें स्कूल कैसे और कितनी शिफ्ट में खुलेंगे, राज्यों को मिला ये अधिकार

School Reopen: शिक्षा मंत्रालय ने सोमवार को कोविड-19 महामारी के बीच स्कूलों को फिर से खोलने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी कर दिए. लेकिन इस निर्णय को राज्य सरकारों पर छोड़ दिया कि है कि वो स्कूल किस तरह खोलेंगे. वो पहले बड़े बच्चों को बुलाएंगे या प्राइमरी के. राज्य सरकार को इसके लिए अध‍िकार दिए गए हैं. मिनिस्टर्स ऑफ स्टेट के एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि राज्य स्कूल के खुलने का समय और तरीका तय करने के लिए स्वतंत्र हैं. वो 15 अक्टूबर के बाद अपने हिसाब से विभिन्न चरणों में स्कूल खोल सकेंगे. उनसे अनुरोध किया गया है कि राज्य और केंद्रशासित प्रदेश स्कूलों को फिर से खोलने का फैसला करें.

मिनिस्टर्स ऑफ स्टेट के एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि राज्य स्कूल के खुलने का समय और तरीका तय करने के लिए स्वतंत्र हैं. वो 15 अक्टूबर के बाद अपने हिसाब से विभ‍िन्न चरणों में स्कूल खोल सकेंगे. उनसे अनुरोध किया गया है कि राज्य और केंद्रशासित प्रदेश स्कूलों को फिर से खोलने का फैसला करें. सोमवार के दिशानिर्देशों में एक तरह से केंद्र सरकार की मौन स्वीकृति है कि राज्य चरणबद्ध तरीके से जूनियर छात्रों सहित सभी ग्रेड के लिए स्कूलों को फिर से खोलने का फैसला करें.

शिक्षा मंत्रालय का एसओपी सांकेतिक है, और राज्यों से अपेक्षा की गई है कि वे केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित व्यापक ढांचे के भीतर अपनी गाइडलाइन का ड्राफ्ट तैयार करें. इसके पीछे मुख्य वजह ये है कि हर राज्य की स्थ‍िति अलग-अलग है, इसलिए वो अपने हिसाब से फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं. केंद्र द्वारा जारी एसओपी के अनुसार स्कूल फिर से खोलने पर एक ही दिन सभी ग्रेड के लिए कक्षाएं नहीं लगेंगी. अलग अलग कक्षाओं की अटेंडेंस भी रोटेशनल और बारी बारी से या हर दो दिन में लगेगी.इन दिनों ऐसे चेप्टर पढ़ाए जाएंगे जो कि बहुत ज्यादा इंपार्टेंट भले ही हों, लेकिन समझने में आसान हों ताकि जो बच्चे स्कूल नहीं आ सके, वो भी इसे कवर कर सकें.

हाई एनरोलमेंट के मामले में यानी जहां छात्रों की संख्या ज्यादा है, वहां स्कूल दो शिफ्टों में चलाने की छूट है. राज्य सरकारें स्कूल की प्रति घंटे स्कूल अवधि की समय सीमा को कम कर सकते हैं. इसी के आधार पर टीचर्स की ड्यूटी भी लगाई जाएगी. शिक्षा मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार नियमित रूप से पेन-पेपर टेस्ट के दौरान रोल प्ले, कोरियोग्राफी, क्लास क्विज़, पज़ल्स और गेम्स, ब्रोशर डिज़ाइनिंग, प्रेजेंटेशन, जर्नल, पोर्टफोलियो के आकलन को प्राथमिकता दी जा सकती है. यदि संभव हो तो लोअर प्राइमरी क्लासेज (I से V) के छात्रों के लिए स्कूल बैग न ले जाने की अनुमति न हो.

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Aanchal Pandey

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